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:२: क्षमावीर सुकोशल
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पिता पुरन्दर के दीक्षित हो जाने के उपरान्त कीर्तिधर ने अयोध्या का शासन भार संभाला। सहदेवी उसकी रानी थी। दोनों पतिपत्नो निराबाध सुख भोगने लगे। अतिशय सुख-भोग का परिणाम होता है अरुचि । कीर्तिधर को भी सांसारिक भोगों से अरुचि हो गई । उसने दीक्षा लेने की इच्छा प्रकट की तो मन्त्रियों ने समझाया'स्वामी ! पुत्र उत्पन्न होने तक रुक जाइए। यदि आप अपुत्री ही संयम ले लेंगे तो राज्य अनाथ हो जायगा और स्वामिविहीन राज्य पर शत्रु आक्रमण करेंगे । ऐसी दशा में जो प्रजा का उत्पीड़न होगा उसका उत्तरदायित्व भी आप पर ही आयेगा। अतः राज्य को अरक्षित छोड़ जाना सर्वथा अनुचित है।' ____मन्त्रियों की सम्मति महत्वपूर्ण थी । अतः राजा कीर्तिधर गृहवास में ही धर्मनिष्ठापूर्वक रहने लगा।
बहुत समय उपरान्त रानी सहदेवी ने एक पुत्र को जन्म तो दिया किन्तु उसे गुप्त रखा । रानी को विश्वास था कि जैसे ही राजा को पुत्र होने का समाचार मिला वे उसे बालवय में ही सिंहासन सौंपकर प्रवजित हो जायेंगे। __रानी के अनेक प्रयासों के बावजूद भी राजा को कुमार का पता लग ही गया। रानी का विश्वास सत्य सिद्ध हुआ। राजा ने उस पुत्र