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७२ | जैन कथामाला (राम-कथा) प्रयोग करना चाहिए। यज्ञ के प्रसंग में 'तीन वर्ष पुराना चावल' यह ‘अर्थ ही उचित और लोकमान्य है। ---मैंने तर्क दिया।
- हम दोनों में तर्क-वितर्क और वाद-विवाद होने लगा। न मैं उसकी बात स्वीकार कर रहा था, न वह मेरी। जव कोई निर्णय न हो सका तो उसने कहा
-नगरी का राजा वसु विख्यात सत्यवादी है । वह जो भी निर्णय देगा वही मान्य होगा। जिसका मत मिथ्या होगा राजाज्ञा से उसकी जिह्वा काट ली जायेगी । तुम्हें स्वीकार है ? ___मैं भी जानता था कि वसु सत्यवादी है। मैंने उसकी शर्त स्वीकार कर ली।
हम दोनों के इस विवाद को पर्वत की माता सुन रही थी क्योंकि आश्रम के पीछे ही निवास भी था । एकान्त में माता ने उससे कहा___-पुत्र! तुम्हारे पिता को 'अज' शब्द का अर्थ बताते हुए मैंने भी सूना है। उन्होंने सदा ही इसका अर्थ 'तीन वर्ष पुराना चावल' किया; मेढ़ा कभी नहीं। राजा वसु के सामने जाओगे तो वह भी यही वतायेगा । तुमने जिह्वा कटवाने की कठिन प्रतिज्ञा क्यों कर ली? पर्वत ने उत्तर दिया
नारद ने मेरे शिष्यों के समक्ष ही मुझे मिथ्यावादी सिद्ध करने का प्रयास किया। माँ ! तुम तो जानती ही हो यदि मैं नारद के पक्ष को स्वीकार कर लेता तो विद्यार्थियों के हृदय में मेरे लिए क्या इज्जत रह जाती। इसी आवेश में मैं प्रतिज्ञा कर बैठा। .
-किन्तु अव क्या होगा?