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________________ सकता।66 अत: मनुष्य को सांसारिक सुखों कात्यागकर ज्ञानार्जन करना चाहिए। और संयत चित्त होकर तय करना चाहिए।67 नायाधम्मकहा में संसार त्याग के दिन मनुष्य का निष्क्रमण संस्कार मनाये जाने का उल्लेख है। यहाँ राजा मेधकुमार के निष्क्रमण संस्कार के वर्णन में बताया गया है कि सर्वप्रथम राजा के लिए बाजार से रयोहरण (रजोहरण) और पडिग्गह (भिक्षा पात्र) क्रय किए गए जो भिक्षु के लिए आवश्यक थे। तत्पश्चात् नापित आया जिसने राजा के बाल काटे । बाल काटने के पश्चात् स्नान कराकर गौसीस एवं वस्त्राभूषणों से अलंकृत किया गया और फिर उनकी दोनों माताओं के साथ पालकी में बैठाकर हाथों में रयोहरण और पडिग्गह ग्रहण कर गुणसिलय उपासनालय में जाने का उल्लेख है। वहाँ महावीर स्वामी ने अपने अनुयायी के रूप में दीक्षित किया और धर्म के विधि निषधों की शिक्षा दिया।68 समराइच्चकहा में इसका उल्लेख प्रव्रज्या के नाम से हुआ है। नायाधम्मकहा में इसे निष्क्रमण नाम दिया गया समराइच्चकहा के तृतीय भव मे प्रव्रज्या ग्रहण करने के विधानों का विवरण प्राप्त होता है। गुरू (आचार्य) द्वारा सर्वप्रथम साधु का चिन्ह रजोहरण दिया जाता था। पुन: मुण्डित कर कायोत्सर्ग को नमस्कार मंत्र द्वारा पूर्ण किया जाता था। तत्पश्चात् गुरू द्वारा दिया गया सामयिक मंत्र भक्ति के साथ ग्रहण किया जाता एवं गुरू द्वारा शिक्षा दी जाती थी। शिक्षा प्राप्त कर लोग आचार्य तथा अन्य साधुओं की वंदना करते थे। पुन: वे आचार्य “मोक्ष प्ररूपण करनेवाले आगमों का परिगामी बनो" ऐसा कहकर शिष्य के मंगल की कामना करते थे। इतना करने के पश्चात् गुरूजनों की वंदना तथा आचार्य के चरणों की वंदना करने का विधान था।69 इस उपर्युक्त विधि-विधान के साथ कुछ आगमार्थ और आवश्यक सूत्र पढ़कर कुछ दिन बीत जाने पर दीक्षा दी जाती थी।70 प्रव्रज्या ग्रहण करने के पूर्व बालों का मुण्डन एवं रजोहरण तथा पडिग्गह (भिक्षापात्र) ग्रहण करने की बात नायाधम्मकहा में भी कही गयी है जिसका उल्लेख ऊपर किया गया है। भगवती सूत्र में भी राजकुमार जमाली द्वारा संसार त्याग की इच्छा पर उनके माता-पिता की अनुमति से बाल मुण्डन किया गया, स्नानादि कराया गया तथा (102)
SR No.010266
Book TitleJain Katha Sahitya me Pratibimbit Dharmik Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Tiwari
PublisherIlahabad University
Publication Year1993
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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