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________________ जैनधर्म की उदारता एक पत्नी राजकुमारी वसुन्धरा भी क्षत्रिया थी। फिर भी वे मोक्ष गये । (उत्तरपुराण पर्व ७६ श्लोक ३४६-४७) ४-कुवेरप्रिय सेठ (वैश्य) ने अपनी पुत्री क्षत्रिय कुमार को दी थी। ___५-क्षत्रिय राजा लोकपाल की रानी वैश्य थी। ६-भविष्यदत्त (वैश्य) ने अरिंजय (क्षत्रिय) राजा की पुत्री भविष्यानुरूपासे विवाह किया था तथा हरितनापुरके राजा भूपाल की कन्या स्वरूपा (क्षत्रिया) को भी विवाहा था। (पुण्याश्रव कथा) __-भगवान नेमिनाथ के काका वसुदेव (क्षत्रिय) ने म्लेच्छ कन्या जरासे विवाह किया था। उससे जरत्कुमार उत्पन्न होकर मोक्ष गया था। (हरिवंशपुराण) ८-चारुदत्त (वैश्य) की पुत्री गंधर्वसेना वसुदेव (क्षत्रिय) को विवाही थी। ( हरि०) -उपाध्याय (ब्राह्मण) सुग्रीव और यशोग्रीव ने भी अपनो दो कन्यायें वसुदेव कुमार (क्षत्रिय) को विवाही थीं। (हरि०) १०-ब्राह्मण कुलमें क्षत्रिय माता से उत्पन्न हुई कन्या सोमश्रीको । वसुदेवने विवाहा था। (हरिवंशपुराण सर्ग २३ श्लोक ४६-५१) ११-सेठ कामदत्त 'वैश्य ने अपनी पुत्री बंधुमती का विवाह वसुदेव क्षत्रिय से किया था। (हरि०) १२-महाराजा उपश्रेणिक (क्षत्रिय) ने भील कन्या तिलकवती से विवाह किया और उससे उत्पन्न पुत्र चिलाती राज्याधिकारी हुआ। (श्रेणिकचरित्र) १३-जयकुमार का सुलोचना से विवाह हुआ था। मगर इन दोनों की एक जाति नहीं थी। १४-जीवंधर कुमार वैश्य पुत्र कहे जाते थे। उनने क्षत्रिय
SR No.010259
Book TitleJain Dharm ki Udarta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherJohrimal Jain Saraf
Publication Year1936
Total Pages119
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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