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________________ (38) सखी खेले होरी। अनुभव फाग रचावत' पति चिरजीवो यह जोरी ॥ चेत०१॥ ___ ८३ पद- राग झझोटी दीपचंदी ॥ मोह वारुणी पी अनादित पर घर धूम मचावे रे जिया ॥ टेक ॥ कमति करमिनि ठगनि ठगि लीनो निज घर चित नाहिं सहावे रे जिया ॥ मोह० १॥ परही से रोचत पर संग नाचत पर परणति अपनावरे जिया ॥ मोह०२॥पर करि दुखी सुखी पर हो करि इमि विभाव उपजावेरे जिया ॥ मोह० ३ ॥ इन्द्रिय विषय सुःख करि माने दुरगति के दुख पावरे जिया ॥ मोह०४॥ मानिक सुमति कहति धनि सतगुरु भूले कों शह वतावरे जिया ॥मोह० ॥ ८४ पद-राग ठुमरी झंझोटी। जिन धुनि सुनि दुरमति नसिगई रेनय स्यादवाद मय आगम में ॥ टेक ॥ निभम
SR No.010257
Book TitleManik Vilas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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