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(३८) सुगुरु सीख नौका चढि मानिक भव समुद्र तरिजायरे ॥ सुज्ञानी०४॥
____३६ पद-राग टप्पो जंगला ॥ सुज्ञानीरा सुगुरुनि के गुनगाय॥सुज्ञानी० टेकाअंबर बिन मुनि नगन दिगंबर संवर भूषित काय ॥ सुज्ञानी० १॥ वीतराग विज्ञान भाव मय अप्ट कर्मविनसाम ॥ सज्ञानी० ॥२॥ शांति छबी रवि तासु निरखते भवि सरोज विकसाय । सुज्ञानी० ३॥ हित मित बचन अमो जनु बरषत भव भ्रम दाघ पलाय ॥ सुज्ञानी० ४ ॥ मानिक सतगुरु गुण सुमिरनकरि अशुभकर्मनसिजायासुज्ञानी०५॥
__ ३७ पद-टप्पोराग अगला ॥ सुज्ञोनीरा सुगरु सीख उरलाय ॥ सुज्ञानी० ॥टेक॥ सम्यक दरशन ज्ञान चरन मय शिवमग दियो वताय ॥ सुज्ञानी०१॥ नय निश्चय व्यवहार दुहुनि करि लखि निज