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जय वर्धमान
मिद्धार्थ : माधु ! माधु ! वर्धमान ! तुम यशस्वी वनो ! अपनी मां को चतन्य
बनाकर यह शुभ सूचना दो। तुम जैसे आज्ञाकारी पुत्र से यही आशा थी। चलो, तुम्हारी मां के पास चले। (शीघ्रता से प्रधान । वर्धमान भी गंभीर मुद्रा में पिता जी के पीछेपीछे जाते हैं।)
[परदा गिरता है।
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