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महाप्रस्थान करेगे सत्वरहोगा जिससे भूतल सुन्दर ।
ज्येष्ठ-बन्धु नन्दीवर्धन सेवोले, श्रद्धा पूर्वक मन से।
नत मस्तक हो किया निवेदनभइया तुमको मेरा वन्दन।
हाथ जोडकर कहता हूँ मैभव की पीडा सहता हूँ मैं ।
दुनिया के दुख कैसे-कैसे रहूँ देखता कैसे, ऐसे।
__जाने दे, मैं सच कहता हूँ
रह कर घर मे कव रहता हूँ।
सुनकर बोले-- नन्दीवर्धनरोकेगा वया तुमको बन्धन ।
जान रहा हूँ तेरी लीलादेखा रूप अतुल चमकीला।
ज्य महावीर/ 69