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तपोनिष्ठ सौन्दर्य विभव कामगल करने वाला भव का । पुत्र रत्न वह होगा ऐसाहुआ न भू पर अब तक जैसा ।
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सब गुण भूषित सबसे सुन्दरचकित रहेगे खुद विश्वम्भर । सुनकर नृपति मोद मे भर कर - आये राजमहल मे सत्वर ।
बोले- रानी से मुस्का केउनको अपने पास बिठा के । देखो, सब ने बतलाये हैस्वप्न बडे सुन्दर आये है ।
बालक तुम्हे मिलेगा ऐसाहुआ नही भूतल पर जैसा । सुनकर रानी पुलकित तन से - प्रभु की पूजा की फिर मन से ।
जय महावीर / 39