________________
मुझे बता दे, मैं क्या जानूंकसे, यह लीला पहचानूं। ये सपने है कितने पावनकैसे कह दूं मन-से भावन ।
इसी लिए मे पूछ रही हूँसुख सरि मे कल रात बही हूँ। राजभवन मे नृप ने आ केस्वप्न विशारद को बुलवा के ।
पूछा-इसका अर्थ बतायेकुछ मतलव इसका समझाये । सव ने शुभ मुहूर्त फिर देखालिया ग्रहो का भी सब लेखा।
सव नक्षत्रो की शुभ गति कोदेखा आदि और फिर इति को। पोथी-पत्र लिया, विचाराथा मुहूर्त वह अनुपम न्यारा।
जय महावीर / 37