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महावीर ने भी पाये थे
_ भव मे जन्म अनेक । लेकिन मन मे सदा टिकी थी
विमल सत्य की टेक ॥
जाने कितने जन्म हुए थे
पाये कितने क्लेश । किन्तु हृदय मे रहा पुण्य ही
अतिम क्षण तक शेप।।
जन्म पचीसो का धरती पर
आया है उल्लेख । उनके सव कृत्यो का भू पर
__ मिलता है अभिलेख ।।
एक वार पर मन मे जो था
जागा दिव्य प्रकाश। नव-नव वह नित वढता आया
हुआ न उसका नाश ।।
जय महावीर | 23