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ग्रहण किया था अभिग्रह से सबदान विभव सुखदाता | महावीर तीर्थकर स्वामीभूतल के थे त्राता ॥
चम्पापति राजा की पुत्री - थी वह चदन वाला ।
पापोदय के कारण जीतीपीकर विप का प्याला ॥
विकना उसे पडा था अपनेचम्पापति के घर से ।
सेठ धनावह के घर आकर - रहती थी वह डर से ॥
इसकी पत्नी मूला उससे - बेहद ईर्ष्या करती ।
उसके सिर पर वडी लाछनादिन प्रतिदिन थी धरती ॥