________________
तप से तेजोमय जीवन की
नयी शिखा थी जगती। नयी सिद्धि की आभा तन पर
प्रतिदिन रही दमकती॥
एक समय वे पाँच मास
__पच्चीस दिनो का व्रत ले। अभिग्रह के नव कठिन पथ पर
साधन मे ही रत थे।
द्रव्य, क्षेत्र औ' काल-भाव का
पालन नियम कठिन था। परम सिद्धि के तपोतेज के
साधन का ही दिन था।
ऐसे ही क्षण चदन वाला.
के उडद के वकले। खले सूप के कोने से ही
अपने हाथो मे ले ॥