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श्री गांतिनायनो रास खंम बीजो. जय पामी ॥ हो || रामविजय कड़े पुण्ययी, पुल्यथी सुखमाहे न रहे कांड खामी ॥ हो० ॥१४॥ सर्व गाया ॥६४ १॥ श्लोक तथा गाथा मती ॥२०॥
॥ दोहा॥ ॥ रत्नसाग्ने मंदिर, श्राव्यो कुमर सुजाण ॥ राज्यमान जाएगी करी, शेत दिये बद्ध मान ॥ १ ॥ मांमयु, धासन बेसवा, आगत स्वागत कीध ।। तुम श्रावे या दिवसमां, सबलो लाहो लीध ॥ २ ॥ धन्य दुदु धन्यमां, नुम थावे माहाराज ॥ प्रगट्यां पूरव नवतणां, पुण्य श्रमारां श्राज ॥२॥ चिंते मन कारण फिस्यु,अंगण याव्यो एह ।। केम समाये बाघलो, मुज मोकरने गेह ॥ ॥ शेव कहे फरमाविय, जे मुफ लायक काम ।। कुमर कदे तुम तातजी, कम उर्वल तनु श्राम ॥ ५ ॥ नीशालो नारखी कहे, शेव सबल दिलगीर ॥ थंगज अमें रियादियो, गयो विदेश वीर ॥ ६ ॥ तुम दी ने सांलग्यो, श्रम जीवित श्राधार ॥ एम कहि रुदन करे घणं, नयण न खेंचे धार ।। ७॥ कारण मामीने का, धुरिदंती समजाय ॥ जाएं तुम तेहज सही, पण में केम कहेवाय || FM
॥ दाल चोवीशमी ॥ ॥ श्रावी यायो रे शामलीया कांड चालो । ए देशी ॥ रही रहो रे पिताजी कांड रढो, ते टुं तुम अंगज जथ्यो । तुम भीख न मानी में नि गुणे, पम कहीने पार पथ्यो सुगुगों ॥ १ ॥ श्रावो प्यानांतुननी नानकहा, एयांकणी । तुम पाग्ने सहियां बद्ध बडा। एम कहीने पुत्र पिता म जापा, घर दिवस तागा विग्दा टविया ॥ त्रा०॥ २ ॥ ३ जननीन देने मझियो, कारे ग्राज मनोग्य तक फनियो॥में नयाणं दी मुहमादी, मोरी शान्य कमल जिन गवाही ।। या ॥३॥ जननी पगे लाग्यो मोनागी, म. मा मुमायाज बना जागी ॥ पणे दिव नुम दर्शन पायो, महागे याज दिवस जेवं बायां ॥ ॥ ४ ॥ बेसार खोने नुतने, दयगरे धातुजन रेनने मापडी मन ने गाणं नी. मुप निरग्वे फरिफर सुन ij ngic ५॥ जन्म जान पाहो तुमची मत्वरी, गम बहादुर मयां nि नि मनि पान कारी तल महामं माटीमा al tan £ | मिनाम र पा जा , सपने मेरी सानो !गज नाजी, तुल नेटी
माया
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