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श्री शांतिनायनो रास खंग बीजो
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घरे रे नि य रे ॥रहो। ते चूके नहिं तिल मात ॥ मो॥ खह यहो मुरु जनकनुं रे ||हो। तुमें करजो एहनो घात ॥ मां० ॥ २ ॥ वात करे रे एम वेडु जणां रे ॥ रहो || तेजनी नेहें रंगाणी धात || मो० ॥ एहवे एक शव लेने रे ॥ रहो ॥ ते श्राव्यो नीच विख्यात | मो० ॥ ३ ॥ दीमे वर्ष वीदामणां रे || रहो || उंचो ताडनो त्रीजो नाग ॥ मो० ॥ ह ह हसतो एम कहे रे ॥ रहो० ॥ श्राज बागज व्याव्यो जाग ॥ मो० ॥ ॥ मृक्युं पडतुं रे तिहां ॥ रहो। जड़ वेठो उपचा जाप ॥ मो० ॥ बुद्धि ने बल बेदु गुं करे रे ॥ रहो | जब व्यावी लागे पाप || मो० ॥ ५ ॥ स्य प्रभावं तेहने रे || रहो० ॥ नवि जोये हुए निहाल ॥ मी० ॥ उपाडी ने ग्रावीवो रे । रहो० ॥ रे रे जोजे हुए संजाल ॥ मो० ॥ ६ ॥ जाएयुं इसे एमुकने रे । रहो० ॥ मुफ शुं हो ए कंगाल ॥ मो० ॥ घटेलसफाइमां रह्यो रे ॥ रहो० ॥ करवालें जणुं गलनाल ॥ मो० ॥ ७ ॥ पचायो यममंदिरें रे ॥ रहो० ॥ एम याची पहोतुं पाप ॥ मो० ॥ सामग्री विवाद तणी रे || रहो || ते सघली जीपी व्याप | मो० ॥ ॥ युं वेला क्ली रे || रहो० ॥ शुभ वेला धनद कुमार || मो० ॥ तिलकसुंदरी परणी तिहां रे || रहो० ॥ पुण्यें होवे जब जयकार | मो० ॥ ९ ॥ दंपती दोष दिल जर रमे रे || रंग मांगो हो राज ॥ करे दिन खोजीने वान ॥ माहूरी गुण मानो हो राज || नवल सुनंदा साहियारे ॥ ० ॥ मुऊ दाखो तुम श्रवदात ॥ सा० ॥ १० ॥ कामिनी स्वागत कंजी रे ॥ २० ॥ कहो मूलयकी संबंध || मा० ॥ बात सुनी विस्मय नही रे ॥ ० ॥ वाणी प्रेमने बंध | मा० ॥ ११ ॥ दिन केना एक तिहां रही है ॥ ० ॥ नेइरामा रतननी गधि || मा० ॥ सार वस्तु जीधी पाणी ॥ ० ॥ याचे कृपनी पास ॥ मा० ॥ १२ ॥ नमी दे ॥
गुणो माता हो ॥ करे स्तवना प्रेमने पूरे ॥ सा० ॥ तुक दर्शनथी मान ॥ सु ॥ वायुं मणुं नूर ॥ थइ तु शाता दो ॥ १३ ॥ एकतारे || कु० ॥ मुरु जीवनी जय हार ॥ ० ॥ नाक्षिष्य करी || कु० ॥ नुं निराधार साभार ॥ १५० ॥ १४ ॥ श्राच्या पाणी मी। मदिनाणी ॥ राम कडे करे ॥
॥ चीजे
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॥ श्रागत