________________ __ श्री शांतिनाथनो रास खंग हो. ४३ए जपे नाम चित्तें // शां० // 7 // शांतिजिन सांजलो एक मुफ वीनति, हुँ / नति वदु करी एम दाखं / नेक नजरें करी निरखो मुज सामुहूं, तुम विना अवर दिलमां न राखं // शां० // 7 // हुँ सयोगी अयोगी प्रनु तुं जयो, ढुं सरागो तुमें वीतरागो // ढुं सदाशी नीराशी तुमें साहिवा, मेलव्यो मेल तुझ नक्तिरागो // शां० // ए॥ मुफ सम सेवका स्वामी ताहरे घणा, तुज सम अवर नहिं कोइ महारे // शरण ढुं धावियो सेव करवा नणी, नक्तवत्सलतणुं विरुद तहारे // शां० // 10 // प्र तुम गुण तणो रास रंगे रच्यो, हर्षा हुँ मच्यो एह गातां // वोधिप्राप्ति महो दय घणी संपदा, पलक नहिं वार तुम चरण ध्यातां // शां० // 11 // सतर संवत जयो वरस पंचाशियो, राजनगरें रह्या अधिक हेजें // आदिजिन शांतिजिन पार्श्वजिन वीरजिन, चार प्रनु दीपता सहज तेजें // शां० // 12 // तेह प्रनु सान्निध्ये रास रचना करी, अतिहि आ नंद मनमांहे धारी // श्री सुमतिविजय सुगुरुचरणसुपसायथी, रामप्रनु शांतिजिन सौख्यकारी // शां // 13 // इति शांतिजिनस्तुतिः // 2226 // // ढाल // // शांतिप्रनु जामणे जावं // ए देशी॥ नवियण नाव धरीने श्रावो // शांति प्रनु गुण गाउ रे // मोती थाल नरीने लावो, प्रमुगुणरास वधावो रे // ज० // 1 // जगमांहे अधिक अडे मीठाइ, जाति विविध मन नाई रे // तेहथी एहमां अधिक सरसाइ, स्वाद ए शिवसुखदायी रे // ज० // 3 // पहेले जव श्रीपेण नरिंदा,वीजे युगल सुखकंदा रे // त्रीजे सुरसौधर्म सुरिंदा, सुख विलसे आनंदा रे // ज० // // 3 // चोथे विद्याधरकुलें आया, अमिततेज गुण गाया रे // पांचमे प्राणत सुरपद पाया, बछे राम कहाया रे // ज० // 4 // सातमे थ व्युत इंश कहीजें, श्रातमे चक्री सुपीजे रे // नवमे ग्रैवेयक निसुगीजें, नवमे नाम जपीजे रे // // 5 // दशमे मेघरथ राय अदीनो, दान अनय जिणें दीनो रे // करे प्रशंसा स्वामी शचिनो, जस गुण रसमां नीनो रे // ज० // 6 // सर्वारथसिम सुर अवतारें, सुख पाम्या श्री कार रे / जव अग्यारमे वारमे जरतें,थयो जिन जगदाधार रे // // // शांति अनुना गुपनी माला, गातां रंग रसाला रे॥ मनोवांछित लहे सही