________________ अमए मुनि हाट कहिये, ए तीता थधिकार - 437 जैनकया रत्नकोप नाग आठमो, मन कोडि // ती० // 5 // श्रीमुनिसुव्रत वारे ए कहिये, कोटिशिला देखी गहगहिये, त्रण कोडि मुनिवर मुक्ति पधाया, ते वंदीने नव पुरव वास्यां / / ती० // 6 // नमि जिन तीरथमां गुण नरिया, एक कोडि मुनि पटकाय पीहरिया॥एह शिला उपर बातोटी, पाम्या हो शिव पदवी महोटी // ती० // 7 // एम अवर पण मुनिवर सिक्षा, पण ते शहां गएनायें न लीधा // कोटि अन्यूना जेहने वारे, सिमा तेहनो इहां अधिकारें ॥ती // // कोटिशिला तिण माटें कहिये, ए तीरथ सेव्ये सुख लहियें // चारण अमण मुनि इहां आवे, सुर नर किन्नर मलि गुण गावे // ती० // ए // जिहां एक मुनिनु होय निर्वाण, ते तीरथ नमे कोडि कल्याण // जिहां मुनि मुक्ति गया के कोडि, ते तीरथ प्रगमो कर जोडी // ती० // // 10 // कोटिशिलानिध तीरथ दीसे, जोतांजवि जननां मन हीसे // तीरय बंदो ए जरतमां वारु,राम कहे सुगणे सुगुण श्रोतारु ॥ती॥११॥२२१३॥ // ढाल // // राग धन्याश्री // शांति जिन शांति जिन शांति जिन राजीया, पुण्यथी आज तुज सेव पामी // गायतां स्वामिगुण रासलीला घणी, थाजथी गुन दशा सरस जामी॥ शां० // 1 // मात थचिरातो तनय सोहामणो, तुम तणां जामणां नित्य लीजें // रायविश्वसेसना कुमर कुलचंदला, ताहरे नाम गुनकाज सीजे // शां० // 2 // धन्य तुं धन्य तुं धन्य हूं धन्य हूं, जाग्ययी सरस तुम दरिस दीठो // शोलमा जिन वरा दुःखहरा शंकरा, भाजयी माहरो पाप नीठो // शां० // 3 // दिव्य कंचनवने यजब शोजा वनी, धनुप चालीश तनुमान सामी // देवना देव तुज सेवना मन वसी, माहरां सुरूतमां नहींय खामी // शांग॥ 4 // दिव्य अनुपम घj रूप रलीयामएं,तुम तणू नयण जोतां निहाली / हरित दूर टने लह बदुली मले, सुजस वेला बले यति र साली // शां० // 5 // ताहरु नाम वरमंत्र मन जेहने, तेहने रिपु परा जब न लागे // सिदि नव निधि वर चुदि विलसे तिहां, नविजना ने रहे तुज रागें // शां० // 6 // गाजती गजघटा तास घर आंगणे, नृपति सेवे घई दास नित्ये // विमल कमला बरे कीर्ति जग विस्तरे, जे जना तुम