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श्री शांतिनाथनो रास खंम हो. ३६७ णी आपण सही ए,पडीयां आपण मांहि ॥ पण ॥ नीसासा नाखे घणा . ए,पण चिंत्यु नवि थाय ॥ १० ॥ २३ ॥ सोल वरस लगें तिहां रह्यो ए, मात पिता थयां दीण ॥ प० ॥ आरतध्यानमां बेदु जणां ए, गयां पर लोकें दीण ॥ ५० ॥ २४ ॥ गुणवंती तस नारजा ए, तेम धन महेले तास ॥ ५० ॥ ह न आपे कंतने ए, अहो अहो मोह विलास ॥ पण ॥ २५॥ धन नीतुं तव तेणियें ए,निज आपण सार ॥ ५० ॥ दासी सं घातें मोकट्या ए, अक्कायें चिंत्यु तिवार ॥ प० ॥ २६ ॥ धन नीतुं एहना घर तणुं ए, मोकल्यो निज शणगार ॥ १० ॥ ए मुफ राख, नवि घटें ए, फरी मोकल्युं सुविचार ॥ १० ॥ २७ ॥ हवे अक्का मन चिंतवे ए, श्यो निर्धनगुं नेह ॥ १० ॥ कहे पुत्रीने एहमु ए, हवे श्यो करवो सनेह ।। प० ॥ २७ ॥ ढाल कही अडवीशमी ए, बहा खंम मजार ॥ ५० ॥ राम विजय कहे धन वडुं ए, स्वारथी ए संसार ॥ प० ॥ २ए ॥१०णा६१॥
॥दोहा॥ कहे पुत्री माताप्रतें, वहु धननो दातार ॥ सोल वरस लगें जेह , विलस्या नोग नदार ॥ १ ॥ केम बंमाये वालहो, प्राणथी अ धिको एह ॥ सोप्यां में हाथे करी,जेहने धन मन देह ॥ २ ॥ कहे पक्का पुत्री सुणो, तुम कुल ए आचार ॥ निर्धनिया नर परिहरे, धनवंतशू व्यव हार ॥३॥ तस मन जाणी पंच दिन, अक्का पडखी जेह ॥ इद्ध मगावे एक दिन, दिये कूचा धरि नेह ॥४॥ मा ए झुं हुँ ढोर बं, निःपीडित इतु दक ।। जे ते मुफ प्रागें धखा, अक्का कहे कुरंग ॥ ५ ॥ जो ए चाव्ये रस होवे, तो सेवे सुलस कुमार ॥ सांगो चूसी रस लीयो, बोता बोड गमार ॥ ६ ॥ पुत्री कहे कृचा घणे, कामें यावे माय ॥ घेर घालाथी दोरनी, नूरख एहथी जाय ॥ ७ ॥ रस लेई पोथी तो, नीरस थापे हाथ ॥ रीसाणी पानी दीये, झुं मुफ दीठ अनाथ ॥ ७ ॥ मा कहे नी रस पोथी ए, जिमन रंगाये पाय ॥ तेम ए निर्धन सुलसथी,कोडी काम न थाय ॥ ॥ ॥ कहे पुत्री पोथी नीरस, पण दसा दीप होय ॥ तेम ए निर्धन सुखसमां, गुण केता एक जोय ॥ १० ॥ राग लही पुत्री तणो, गनी रही तेवार ॥ विण पूल्ये एकाढवो, मनमां कस्यो विचार ॥ ११ ॥
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