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________________ श्रीशांतिनायनो रास खंमच्छो. ३०ए मोजी महिराण ॥ शां० ॥ वाजे लाख चोराशी निशाण, जित दुई त्रिनु बन सुलतान ॥ शां० ॥ १५॥ कोडि श्रढार साथै अस्वार, उन कोडी पायक दल सार ॥शांपा चन्द रयण नवनिधि संवात, बहु थामंचर थ चिरानो जात ॥ शां० ॥ १६ ॥ गुन दिन गजपुर करे प्रवेश, दूर टव्या जनना संक्लेग ॥ शां० ॥ बंदीजन बोले जयवाणि, पागल नाट करे कल्या पण ॥ शां० ॥ १७ ॥ सोहव नरि जरि मोती याल, प्रनुको वधावे या उन माल ॥ शां० ॥ निजमंदिर आये तूपाल, सुरवीयो सगु तिहां बाल गोपाल ॥ शां० ॥ १७ ॥ खंमें दो प्रातमी दाल, आये जगत्प्रनु दीनदयाल ॥ झांग ॥ रामविजय कहे पुण्यसंयोग, आइ मिने सवि वांनित योग ॥शां॥१॥ सर्वगाया ॥३५॥ लोक तथा गाथा मनी ॥ ॥दोहा॥ ॥ वासी नारत वर्पना, मलीया देवी देव ॥ वत्रीश सहस नरेश्वरा, सारे प्रचुनी सेव ॥१॥ करे अनिपेक चक्रीतगो, बार वरस ममास ॥ विद्याधर नूचर मली, सर्व समयना जाण ॥ २ ॥ करे उत्सव अभिपे फनो, नित्य एक एक राजान ॥ परणाये दोय पुत्रिका, रूपे रंन समान ॥ ३ ॥ चोसव सहस अंतेवरी, एणी पेरें दूइ उदार ॥ दो दो तस वारां गना, एक लद वाणुं हजार ॥ ४ ॥ ॥ ढाल नवमी॥ ॥ दरपी जब चरे ललनां । ए देशी।प्रबल पुण्याइ शांतिकी सतनां ॥ लता हो कदेतां नाचे पार ॥ साहिब सेबीये जलनां ॥ १ ॥ एथ्यांकरगी। फिरत दहाइ देशमां ॥ ॥लला हो सहस चत्रीगने मेल ॥ सा० ॥ पत्रीश सहस नरिंद' । ल । सलादो करे यहोनिश प्रभु केलि ।साए ॥ १ ॥ सहस बहोतर पुरवरा ॥ ज० ॥ ॥ नोहे कति कमाल ।। मा० ॥ पाटग संख्या दो सांजली ॥ ल ॥०॥वात सहस डिवाल सा॥३॥ कोहि तन्नु वर गामना । ल । जोगवे लोग रमाल ॥ सा ॥ शोल सहत यद पागलें ॥ 30॥ रहे कर जोडी जान मा दोष सहत अंगरक्षका ॥ त ल ॥ मर करे दिल नाच || Re } चोतव इंदाजर पडे ॥ल ॥ कोई न लाप नाच ॥ सा० ॥ ५ ॥ ददा कोडि प्रलंबनाचा ॥१ ॥
SR No.010253
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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