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श्री शांतिनाथनो रास खंम पाचमो.
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त्री पखवाडे उल्लास जी ॥ प्र० ॥ एक वार जे श्वासोवास जी ॥ वा० ॥ ३३ ॥ चंद्रोदय रुचि उद्योत जी ॥ प्र० ॥ तिहां चोसह मनुं मोती जी ॥ वा० ॥ ३४ ॥ चिहुं पासें चार ते सोहे जी ॥ प्र० ॥ वत्रीश म एनां मन मोहे जी ॥ वा० ॥ ३५ ॥ याव शोल मणां कह्यां वारु जी ॥ प्र ॥ तस पापतीयां मनोहारु जी ॥ वा० ॥ ३६ ॥ शोल यात म पानी ने जी ॥ प्र० ॥ ग्रागममांहि प्रभु एम वोले जी ॥ पाठांतर ॥ ते दीपे तेज मोजें जी ॥ वा ॥ ३७ ॥ चिहुं मानां मोती वत्रीश जी ॥ चोसठ दोय मलीयां जगीश जी ॥ वा० ॥३८॥ एक शो अडवीस चखाणो जी ॥ प्र० ॥ एक मणीयां मोती जाणो जी ॥ वा० ॥ ३५ ॥ एम दो य त्रेपन होय जी ॥ प्र० ॥ मुक्ताफलसंख्या जोय जी ॥ वा० ॥ ४० ॥ समकितदृष्टि मति सारी जी ॥ प्र० । सहुये जिहां एकाव तारी जी || वा० ॥ ४१ ॥ लवसत्तमिया एणें नामें जी ॥ प्र० ॥ देव सर्वा रथसिद्ध गमे जी ॥ वा० ॥ ४२ ॥ प्रभु तिहां जइ लीये श्रवतार जी ॥ प्र० ॥ व्यगियारमे जव अधिकार जी ॥ वा० ॥ ४३ ॥ दृढरथ मुनि पण तिहां जाय जी ॥ प्र० ॥ नही सुरपदवी सुखदाय जी ॥ वा० ॥ ४४ ॥ खंम पांच साडत्रीशमी ढाल जी ॥ प्र० ॥ कहे रामविजय उज माल जी ॥ वा० ॥ ४५ ॥
॥ ढाल ॥ चोपाई ॥ खं खं चतुराई घणी, शांति प्रभुरामें में सुणी ॥ तेह तो ए पंचम संग, पूरण हूर्व राग व्यखं ॥ १ ॥ संवत सत्तर पं चाशिये सही, राजनगर चोमा रही || श्री संभवजिनने सुपसाय, पंचम खं रच्यो सुखदाय ॥ २ ॥ सागरराव उदयाचलनाण. श्रीनीसागर सूरि सुगुणनिधान ॥ तेह तो राज्य प्रतिचंग, राम ख्यो में धरि मन रंग || || श्रीगुरु सुमतिविजय कविराज, उपकारीमांदे गिरताज ॥ तास शिष्य एम द नणे. गतिमनुने जाने नाम ॥४॥ सर्वगाथा ॥११७॥ श्लोक तथा गाया मली ॥६३॥ संग पांचेनी गाया ॥ ४२५४ ॥ संग पनेिना प्रास्ता विक लोक तथा गाया ॥ १०१ ॥ पांचे खंमनी हाल ॥ १५०॥ इति श्री शांतिजिनप्रबंधे राधे नानुमचे नवनिबंधे देवराजवत्सगजसंव घोपबृंहितदशमैकादश नववननामा पंनमः संमः समतिमगमत् ॥ ॥ ॥