________________
श्री शांतिनायनो रास खंम पहेलो. २५ ' स्तन पीतां लघु वात ॥क ॥ वंदर विल जलें पूरियां रे हां, के पाड्यां , मदुधाल ॥ कल ॥२॥ अवगुण अता काढिया रे हां, परने दीधा बाल
॥ ॥ के वली शीलनी खमना रे हां, कीधी कर्मचमाल ॥ कण्॥ ३ ॥ .. ,यतः ॥ कुरंग रंमत्तण उनगाइ, विलित्त निंदू विसकन्नगाइ ॥ जम्मतरे खंमि
य सीलनावा, नाचण कुद्या दढसीललावा ॥ ३ ॥ पूर्वढाल ॥ के पशु पंखी मनुजना रे हां, कीधा वालविडोह ॥ क० ॥ के सुत शोक्यनी ऊपरें रे हां, विरुन विमास्यो ह ॥ कण ॥ ४ ॥ के वली दव देवराविया रे हां, वनमाहे धरि ढूंश ॥का के तुब कारिज आपणे रे हां, कीधा देवगुरु सूस ॥ क० ॥ ५ ॥ इत्यादिक कहो कुण लहे रे हां, ज्ञानी विण नवि वात ॥ कण ॥ ते उदयेंज थयां यहां रे हां, माहरे माय ने तात ॥ क० ॥ ६ ॥ अथवा पियु उणमां रे हां, होशे नहिं संदेह ॥ कण् ॥ मोदक अवसर हितनपी रेहां, नाम कयुं गुणगेह ॥ कण् ॥ ७ ॥ धीरज
धरे मनमां सती रेहां, चिंते चित्त नपाय कामले मुमने जो वालहो रे हां, :: तो टलशे सुरित अपाय ॥क०॥॥ एक दिन सिंह सामंतने रे हां, तेड्यो
मंदिरमाहे ॥ क॥ वात कही सवि मूलथी रे हां, निसुणी धरी उत्साह ॥क०॥ ए ॥ सिंह कहे सुणो स्वामिनी रे हां, मधरो मन जंजाल क वात कहिश जई रायने रे हां, होशे मंगलमाल ॥क ॥ १० ॥ लहि घवसर जश् वीनवे रेहां, सुणो राजन मुफ वाण क० ॥ कष्टें पडी तुमची सुता रे हां, अवता वहु गुणवाण ॥ क० ॥ ११ ॥आलापन सन्मानता रे हां, दूर रहो माहाराज ॥क ॥ वाक्य श्रवणमात्रे प्रनु रे हां, तनुजा अरज निवाज ॥ कण्॥१२॥अश्रुजलाविल लोचने रेहां, तूप कहे सुग सीह ॥ क० ॥ वांध्यां उदय आवे वही रे हां, वीरुई कर्मनी लीह ॥ क०॥ १३ ॥ प्राणप्रिया ए मुफ सुता रे हां, यश् कलंकित देह ॥ क० ॥ इष्ट घनिष्ट यई घणुं रे हां, कहिये कोने एह ॥क ॥ २४ ॥ पण रूठे निज यातमा रे हां, नवि प्रनवियें लोक ॥क ॥ श्रावी कहे इहां कने सुखें रे 'हां, मन हित सो शोक ॥ क० ॥ १५ ॥ अनुमति लश्ावी कहे रे हां,
त्रैलोक्यसुंदरी ताम ॥ क०॥ तात वेप नरनो दीयो रे हां, करुं मनचिंतित । काम ॥ क० ॥ १६ ॥ सिंह कहे कारण वशे रे हां, स्त्री यहे नरनो वेप ॥ कर ॥ राजकुलें ए योग्यता रे हां, राय दीयो आदेश ॥ कल ॥ १७ ॥
न
+
--
-
m
1
11