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श्री शांतिनाथनो रास खेम चोथो. रए रंदो जीए संबंध रसाल,आगत वात तणो रस वे घणोजी॥२३॥६६॥२५॥
॥दोहा॥ पुएबसार ऊतावलो, याव्यो वटतरु पास ॥ कोटरमा पेठो जई, पाम्यो चित्त उनास ॥ १ ॥ एहवे ते पण देवता, भावी नाग्यवशेण ॥ वड कप र ची चडी, वेती रंग रसेण ॥ ५ ॥ देवशक्तिये ते ममियो, वड अंबर श्रनिराम ॥ तुरत क्षेत्र जइ कतयो, पुर गोवाल बन नाम ॥ ३ ॥ एड्वे शहेर जमी घएं,तेह पुरंदर शेत ॥ थये प्रनातेधावीने, विशाम्योवड हेतु ॥३॥
॥ ढाल वीशमी॥ ॥श्राज रहो रंगमहोलमें केसरीया ॥ ए देशी ॥ रयणी विहाणी रवि ऊगीयो ॥ढुंवारी॥ पुवीय थयो प्रकाश रे ॥ टुं बारी लाल ॥ बोल ण लाग्यां पंखीयां ॥ ढुं० ॥ गयो अंधकार सबि नाश रे ।। ढुं वा ॥ १ ॥ वटकोटग्यी नीसग्यो । ढुं ॥ तब पुण्यसार कुमार रे ।। ९ ।। वस्वानर ण विराजतो ॥ ढुं० ॥ देवकुमर अवतार रे ॥ हुँ ॥॥ सुत देखी दिल नमस्युं । ढुं० ॥ वत्स बत्त कहेतो तात रे । ढुं० ॥ दोडीन भावी म यो । दु० ॥ हरखी साते धात रे ॥ ढुं० ॥ ३ ॥ वत्स तुऊ विण ए यामिनी ॥ ढुं० ॥ वरिणी गइ विकराल रे ॥ हुँ ॥ सूरज परें तुने देखीने ।। ९ ।। मुज मनकज उजमाल रे । ढुं० ॥ ४ ॥ वत्स धाग्यो तुं वातदो ॥ ढुं० ॥ फलियां वांगित श्राज रे ॥ टुं० ॥ में तुऊरीय करी धणी ।। ९ ।। नुज शीवामण काजरे ॥ ढुं० ॥५॥ पती मन पम्तागो पाणु ॥ ई० ॥ तुत विना शून्य संसार रे ॥ ९ ॥ तुम गुहिजेवानी मन्यो । ९० ॥ नमतां प्रदर गया चार रे ।। ढुं० ॥ ६॥ सुत कर जोटी नीनवे ॥ ९ ॥ नवलप महागे बांकरे ।। ९० ॥पगधीमांद में सही ॥ ९ ॥डो नाल्यो शांकरे ॥ १० ॥ ॥ गुना खोजी हवं माद गे ॥ ९० ॥ सुतवल्लल नुमें संत रे ॥ दु० ॥ पुत्र कुपुत्र जगमां दुवे ॥ Kv माविन नजि विहान ॥ ॥ ७ ॥ पुत्र पिता बेदु प्राविया !
॥ बिडे प न माय रे ॥ ९॥ जननीने सुत जमिन्यो ।।। याव्यां प्रांत, नगर ॥ ९० ॥ १५ ॥ सुन लो बनाने ॥ ९० ॥ ने.. पेली मार रे ।। ९ ।। मृत शोना ना बनी ॥ ॥ रिन्द्रां अs काही समजाय ॥ ६ ॥ १ ॥ मान पिना बेदमांनजे ॥ ९० ॥ कने