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श्री शांतिनाथनो रास खेम चोयो. २५ प्रीतमा बदु नेद, सुरुप सोहागणी रे के ॥ मु० ॥ गुण सबला संतान, नहिं एक तेहन रे के ॥ न० ॥ एहिज महोटी खोट. चाहे जग जेदने रे के ॥ चा० ॥ २ ॥ पुत्र नणी बदु धाश, स्वजन प्रेरे घणुं रे के ॥ स्व० ।। नवी परणे रखे थाय, प्रिया दिल दृमणुं रे के ॥ प्रि० ॥ कुलदेवी श्राग ल जइ. बेदु एम उबरे रे के ॥ ये ॥ स्वामिनि मुतनी चिंता, एक पण सांगरे रे के ॥ ६ ॥ ३ ॥ कोण करो तुज नक्ति, विमासण ठे घाणीने के ॥ वि० ॥ यो ज्ञान प्रयुंजी. मया कगे श्रम नणी रे के । म ॥ देवी कहे गुण शेत, होडो सुत सुंदर रे के ॥ हो । पुण्य करतां गुणमणि, रोदण नृधरु रे के ॥ गे० ॥ ४॥ हर्पित दूर होत, पणुं मनमा रली रे के ॥ ५० ॥ चिंते मादरी वाजयी, जाग्यदशा वली रे के ना॥ गुण्य तणां करे काज. दयागुण यादरे रे के ॥ १० ॥ दीन दुःखी जे लोक. तेऽने उझरेरे के तं ॥ ५ ॥ पुण्यसिरी कुलदेवी, नारी हेज मांरे के ॥ सं० ॥ एक दिन रयणीममार के सती मेजमा रेके ।। सू०॥ दीत झोतकला. संपूरण चंदनी रे के ॥ पू०॥ विनबियो जड़ शेठ के,
एन लायो नतोरे ॥ सुप ॥ ८॥ होतो पुत्ररतन्त्र, मनोरथ पूरा रे के । म ॥ शेत कहे सुत याव्या, संकट चरशे रे के ॥ २ ॥ दी सही मनमांति, गर्न प्रतिमालना रे के ॥ ग ॥ कालें जनम्यो पुत्र, करे बद्ध वासना के | कर | 3}} उत्सव की अपार, अनेक बधामणरे के 11 १० ॥ नाम धणे पुण्यनार, माती माजन यागां के म० ॥ पति या मनोरथ मार के, मात पिता तणार के । मा० ॥ देखी मुतमुख चंट के, अपनी नमिणारे के द० ॥ ॥ पंच धाव मत कहें, चींटा रहेरेक॥नी ॥ चिरंजीवी सन एम. सह मुखी कदे के ॥ म ॥ पंच चरन थयां नाम, निगाले पाठव्यारे के नि1 सकल कला
न्याम, कनिन्दनिनयों के ॥ 2 ॥॥ ग्त्रलार एशेउ, तणी विहां की सेना रन्ननंदी ज्ञण नाम, नणे विहां गुणजी के
न घर जो बोडा, हे जग ना रे ! हो। मांडो मार हिसार, काने गुणनिती रे ! .. ॥ १८ ॥ चपजपायाची म., पोले यापली . चोर पसार मंगाने. जगडे घ्या
के ME भावना विवाद, परं यमाय चदीक फ॥