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श्री शांतिनाथनो रास खंम चोयो. रपए यशसि चानिरतिर्व्यसनं श्रुतो, प्रतिसिमिदं हि महात्मनाम् ॥ २ ॥ चढाल ॥ मुज बांधव देवराज, ए सजन जातिनो के ॥ ए ॥ न मले ए हमां कोइ, विचार कुजातिनो के ॥ वि० ॥ केम कोप्यो नरराज, निवाजने स्थानकें के ॥ नि ॥ सवल विमासए ऊपनी, आज अचानकें के ॥श्राप ॥ ४ ॥ पण कुपरीक्षक राय, अज्ञानें आवस्यो के ॥ अ० ॥ विण परमारथ जाणे, दुकम एणे कयो के ॥ दु० ॥ पण इहां काल विलंब, करुं शुज कारणे के ॥ क० ॥ नांख्यो ग्रंथमा एहज, अगुन निवारण के ॥ ॥ ॥ ५ ॥ चिंतवी राय समीप, वही आव्यो वली. के ॥ व ॥ कां रे न लाव्यो तल शिर, युं तुज मति गली के ॥ ॥ कहे वत्सराज नरेश्वर, ते जागे सही के ॥ ते ॥ जागंतां देवराज, ह पाये नहिं सही के ॥ ह ॥ ६ ॥ मारीश ढुं निशनर, ते याशे यदा के ॥ते॥ नृपतियें पग वात, हृदय धारी मुदा के ॥ ॥ स्वामी विनिइ कहो कोइ, वात सोहामणी के आवा॥ वत्स कहे अहवा, निसुणो महारी नपी के ॥ सु० ॥ ॥ ७ ॥ वात विनोद विना ए, न जाये यामिनी के ॥ न० ॥ राय कहे तुं दाख, कथा मुफ कामनी के ॥ क० ॥ सुण नृपवर बदु नरवर, पाटली पुरमां के ॥ पा० ॥ पृथ्वीराज नरेश्वर, चावो शत्रुमां के ॥ चा० ॥ ॥ सुनगा सुनगा नामें, राणी तस वालही के ॥ त । रतिरमणी अनुहार के, रूप गुणें सही के ॥ रु. ॥ शेउ तिहां रत्न सार, वसे एक गुणनिलो के ॥ 4 ॥ सदु व्यवहारीमाहे के, सोहे शिर तिलो के ॥ सो० ॥ ॥ ॥ तस घर नारी सलका, नामें रखका के । ॥ ना० ॥ गोरंगी रतियंण, विचारनी पंजिका के ॥ वि०॥ धनदत्त नामें एक, तनय तस कूरखनो के ॥ त० ॥ मात पितानो जक्त, न रागी दोपनो के ॥ न० ॥ १० ॥ एकदिन रुतश्रृंगार, सुमित्रगुं परवखो के ॥ मु॥ श्राव्यो चटुटामांहे, ते धनमदयुं जयो के ॥ ते ॥ कोइ प्रशंसे धन्य ए, जोगी प्राणीया के ॥ लो० ॥ विलसे लछि विलास. सोनागी जागीया के ॥ सो० ॥ ११ ॥ तव चीजो कहे एह, नणी न बखाणीये के ॥ नए ॥ याप तणी उपराजिन, धाथ ए वाणीये के ॥श्रा०॥ बाप तणे परसाद, करे ते साहिबी के ॥ क० ॥ तो करे ने तान.वनी तननीबी के ॥ ५० ॥ ११ ॥ बात सुणी मनमांहे, सोचे ते इस्युं के ॥ शो० ॥