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________________ पृथ्वीचं अने गुणसागरनुं चरित्र. १ तमे विनयधरने तेना परिवार सहित पकडी लावो, अने तेना- घर उपर शील आपो. बंध करो. या वात बीजी प्रतमा वली नीचे प्रमाणे लखी बे. ___ एवं विचारी जोजपत्रे एक लेख लखी मूक्यो. ते मध्ये राजायें लरव्यु जे तारे घेर सार वस्तु ने ते मुफने आप. ते मृगादीना वियोगथी एक रात्र ते मुझने सहस्त्र रात सरखी जाय . तेवारें विनयंधर शेतें परमार्थ जाणी पुरोहितने अने प्रजा लोकने कयुं, जे राजा माती दृष्टियें जुवे , तमो जश्ने समजावो. तेवारें प्रजा लोकें मनी राजाने कर्तुं त्यारे राजा ते प्रजा लोक माहाजनने कहे ले के, एतो हुँ मागी ल . तेमां मने शो दोष ? त्यारें प्रजा लोकें कह्यु. राजा अघटित न मागे, अन्याय न क रे, तमो कोइ परीक्षा अर्थे करो तो पण ते प्रजाने कुःखरूप थाय. जेम उधमां. पूरा न घटे, तेम तमने ए कर्तव्य न घटे. जे मधुर शदना आ स्वादन करनारा होय ते कंटक वृक्ने वि केम मन करे, जे राजहंस मु क्ता फलना चुणनारा होय ते मानसरोवर मूकीने तुब जल खबोचीया ना कादवमा केम राचे ? एहवां दृष्टांत राजाने कह्यां. पण राजानुं पा परूप विप न उतयं. जेम जांगुली विद्यायें विषधरनां विष उतरे, पण रा जापापात्मा विषयी थयो, तेहy विष न उतयु. कोइक खलें कर्मरूप विधा त्रायें एहवो विशुद्ध निर्मल जे राजा तेने कलंक उपजाव्यो. जेम निर्मल स्फटिकने विषे कालो माघ लागे तेम इहां निपज्यु. एम प्रजा लोकनो प्र तीकार, विनती राजायें हृदयमांहे धारी नहिं, ते प्रजानी मर्यादा अवग पीने, गजेंनी पेठे मर्यादारूप स्तंनने उन्मूलीने राजा असमंजस थको अकृत्य करतो हवो. राजायें पोताना सेवकोने का, तमो जश्ने ते शेउनी स्त्रीयोने बलात्कारे लइ आवो. तेना परिवारने दूर करी घरने मुश करो. वली राजा नगरना लोकोने कहे . एनो पदपात तथा उपरीपणुं जे करशे तेनी ढुं शुदि करीश, तेने लूंटी लश्श. एवां कडवां वचन सांजली प्रजा लोक सद् निर्घाट्या थका निज मंदिरे गया. ते वखत राजाना सुनट, विनयंधर शेठने घेर गया. त्यारे तेहना स्पर्शना जयथकी स्त्रीयोने लश्ने ते विनयंधर पोते राजा पासे आव्यो.तेवारे ते स्त्रीयोनुं अद्भुत रूप देखी राजा चित्तमांहे चिंतववा लाग्यो के, ए साचुं जे माटे स्वर्गने विपे पण एहवी रूपवंत स्त्रियो नथी. एवो रूपवंत पुरुष में नजरे दीठो. जाग्यथकी माह
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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