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________________ ३७६ जैनकथा रत्नकोष नाग सातमो. र्यनो अने प्रापनो उदय साथेंज थयो , हवे ते सूर्य केहेवो के ? तो के पोतानो प्रताप जे उदय, तेथी कस्यो जे दोषा जे रात्रि, तेनो अंत जेणे एवो बे. अने श्राप केहेवा बो? तो के स्वप्रतापें करी कस्यो के दोष जे पृथ्वीमां थतां पापो, तेनो अंत जेणे एवा बो. वली पण सूर्य केहेवो ? तो के नूनृत् जे उदयाचल पर्वत तेनां मौलि जे शिखरो, तेनी पर प्रसृत करयां ने पाद एटेले पोतानां किरणो जेणे एवो जे. अने श्राप केवा हो ? तो के जूनृत् जे अन्यसामंतादिकराजा, तेना मौलि जे मुकुटो, तेणें करी शोना यमान डे पाद कहेतां चरण जेमनां एवा बो. हवे ते सूर्य, उन्नतिने पामवा माटे ननोमार्गने आरोहण करेलो . अने आपण उन्नति जे मोद तेने पामवा माटें धर्मरूप आकाशन आरोहण करेलुं . प्रमाणना स्वप्नना 'उत्कर्षने मलतां वैतालिकोनां वचन सांजली ते राजा, अत्यंत हर्याय मान थयो. पडी शय्यामांथीनती दंतधावन वगेरे क्रिया करी वस्त्रालंकार धारण करी पोताना गामनी बाहारना उद्यानमा जे ठेकाणे जिनालय , त्यां याव्यो. त्यां श्रावी विधिपूर्वक श्रीजिननगवाननु अर्चन करी ते नगवा ननी स्तुति करीने संवेगरागें करी रंगित थयो थको ते गिरिसुंदर राजा जिनालयथी बाहार निकव्यो, तेवामां तो तेणें एक आम्रवदनी नीचें वेठेला, प्रशांत जेनुं चित्त एवा, नवयौवनयुक्त, ज्ञान, दर्शन अने चारित्र, ए त्रण रत्नोयें करी अलंकृत, पांच माहावतने धारण करवामां शूरवीर, धर्म ध्यानमां नत्पर, नासायनी पर करी दृष्टि जेणे एवा, कोइएक मुनी श्वरने दीठा. त्यारे तो अत्यंत प्रसन्न थइ त्यां जश्ते पोताने घटे तेवा स्थान पर बेतो. त्यारे तेने धर्मलान दइ मुनिये पण देशना देवानो प्रारंन कस्यो. ते जेम केः- हे राजन् ! सहजस्वनावथीज असार, जेने धंतुराता फलनी उपमा अपाय , अने इंजालजी पेठें अस्थिर एवा आ संसारने विषे तमो प्रीति करशो नहिं. वली आ संसारने विषे देहधारी सर्व प्राणी योने निरंतर जन्म मरणनो नय रहे डे, तथा यौवनने जरानो नय रहे बे. अने शरीरने रोगनो नय रहे . तेथी संसारमा बावेला जीवने सुखनी अाशा कोइ तेकाणे वेज नहिं. वलीसांनतो.आ संसारमा कोश्क ठेकाणे केटलांएक जनो, एकत्र मली रोवे कूटे बे, अने कोक काणे केटलां एक लोको, एकां मली गान, तान, नृत्यवगेरे आनंद करे बे. अर्थात् था
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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