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________________ पृथ्वीचं अने गुणसागरनुं चरित्र. ३३५ परंतु आवा उष्ठने जलदी दंम देवो नहिं. कारण के ते उष्टनुं चरित्र सर्व सां नली पड़ी तेने दंम देवो. अने वली तेणे योगीनो वेश धारण करेलो ने तेथी ते हावा योग्य पण नथी ? एम विचारी त्यां एक पनरनी शिला पडेली हती, त्यां जश् तेनी पर बेसी ते कुमारस्त्री अत्यंत रुदन करवा लागी. त्यारें कामी एवो ते कापालिक ते स्त्रीनुं करुण शब्दयुक्त रुदन सांजली त्यां याव्यो. यावीने ज्यां जुवे जे, त्यां तो नवयौ वना, मनोहर रूपवाली, चश्मुखी एवी ते स्त्रीने जो विचारवा लाग्यो के अरे! या तिलोत्तमा अप्सरा सरखी स्त्री जो मारे वश थाय: तो मारे गामनी कन्याना हरणकरण रूप सकल क्लेशो नोगववा मटे ? अने काम देव जेम रतिनामा स्त्रीनी साथें सुखी थाय , तेमढुं पण या स्त्रीना मुखें सु खी थानं. परंतु हाल तो दिवस ,माटे मारो का उपाय चालशे नहिं, जो रात्रि हत तो तो ढुंमारं काम फत्ते करत, माटे हाल तो विनय करी जेम ते माथुअवलुं समजावीने तेने मारा मठमा लजालं.त्यांला गया पनी ज्या रें ते मारे हस्तगत थाशे, त्यारें पड़ी मने जेम ठीक पडशे, तेम करी श? एम विचारी ने ते स्त्रीपासें यावी कहेवा लाग्यो के हे सुलोचने ! पुष्ठ एवा धातायें तुं जेवी मनोहर स्त्रीने पण कुःख दीधुं लागे ? माटे हेसुन्नु! बाहिं एकली शामाटे डो? अनेरुदन केम करे ? ते कहे.अने तुने खे द युक्त जोड्ने मारा मनमां महोटुं कष्ट थाय जे. त्यारे कुमारसुंदरी बोली के हे कापालिक ! सांजलो. हूं जे बोलु, ते तमारे सत्यज मानQ. जरा पण खोटुं मानवं नहिं, कारण के हुं सत्यवक्ताज बु. एम कही ते कहे वा लागी के प्राची दिशाने विषे एक सुशर्मानामा नगर . ते नगरीना राजानो अपराजितनामा एक पुत्र . तेनु कोइएक कारणे तेना पि तायें अपमान कयुं, तेथी ते रीसाइने पोताना पिताना नगरथी बाहेर निकली गयो. अने हुँ ते अपराजित कुमारनी स्त्री . तेथी ज्यारे ते मारो स्वामी गाम बाहार निकली गयो, त्यारे पण घणा लोकोयें ना पाडतां बतां तेनी पडवाडेज निकली गइ. गतरात्रिने विपे हुँ तथा मारो स्वामी श्रा, जे बीपर पर हाल हुँ बेठी बुं तेनी पर सूतां हता. एमांज्यां मारी आंखमां निज्ञ यावी, त्यां तो मारो स्वामी एकदम मने सूतीज मूकीने कोण जाणे क्यां पोबारा गणी गयो ? अने मारा उठवाना नयथी मारे
SR No.010252
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size66 MB
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