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________________ जैनकथा रत्नकोष नाग बठो. ७२ are न मूक. एवी प्रतिज्ञा होवाथी बीजं बाल को लिकनी ऊपर न मूक्युं. संग्रामयी उसरी पाठो ठेकाणे याव्यो. बीजे दिवसे पण एज रीते बाल खाली गयुं. एम दिन दिन प्रत्यें वेदु जानुं मांहोमांहे घोर युद्ध प्रवयुं बे हुना लकरमा थईने एक क्रोडने ऐंशी लाख मनुष्यनो दय थयो. ते सर्व नरक ने तिर्यचमां उपजता हवा. हेमचंशचार्यकृत श्रीवीरचरित्रना अ नुसारें ए पाठ . ने प्रतिक्रमणसूत्रवृत्तिने अनुसारें तो महाशिला कं टक संग्रामने विषे नव लाख मनुष्य तो एक मालीनी कूखे जइ उपन्या. तथा श्री जगवतीजी सूत्र अनुसारें दश हजार एक माउलीनी कूखे न पन्या. ए मतांतर बे. तथा श्रीवीरचरित्रने अनुसारें सामान्य प्रकारें बेहु सैन्यमां ने एक कोडने एंशीलाख मनुष्यनो दय थयो कह्यो बे. अने श्री जगवतीजी सूत्र अनुसारें महाशिला कंटकने रथमुसल ए बेना संग्रा मां पण एटलाज मनुष्योनो दय को बे. हवे हार गए राजा सर्व पोत पोताना नगरे जवाने इबता जाणीने, चेडो राजा नाशीने पोतानी नगरीमां पेतो. ते जोइ नगरीने को लिकें वींटी लीधी, तेवा दल तथा विहल रात्रे शूरवीर थर सिंचानक हाथी उपर वेसीने बहार नीकली लोकने मारी मारीने नाशी यावे, पण कोइथी पक डाय नही. त्या कोलिक मंत्रीश्वरने कहेवा लाग्यो के, आपणुं बधुं लश्कर तो ए हलें विहलें उपव्युं, माटे एने जीतवानो उपाय विचारो त्यारे मंत्रीवर बोल्या के, ज्यां सूधी ए हाथी होय, त्यां सूधी एने कोइ रीतें न जीता, माटे हाथीने मारवानो उपाय ए बे, जे मारगमां एक खाइ ब नाववी. तेमां खेरनां अंगारा जरीने ते खाइने ढांकी मुकशुं, जेथी ते ज पाय नही. पी ते हाथी उतावलो यावतां खाइ मांदे पडशे एटले ब ली जशे . एम सांजली हल विहलने याववाने मार्गे एज रीतनी खा‍ बनावी खेरना अंगारें जरीनें उपरथी ढांकी मूकी. हवे हल विल सिंचानक हाथी उपर बेसीने जेटले खाइ पासे या व्या, एटले ते हाथी विनंग ज्ञानवंत ने माटे आागल पग मूके नही. त्या रे हलविलें ते हाथीने घणो निचंबधो के, या वेलाये तुं चालतो नथ। ते गुं रथी कायर थयो के ? एक तहारे माटे तो मे परदेशें याव्या, बधाने वियोग थयो, चेडा राजाने महा कष्टमां नांख्यो. खाटला लोकनो
SR No.010251
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size46 MB
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