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दृष्टातशतक.
३७७ तेमां धोबियें मुनिने मायो, अने नीचो पाडी तेनी बाती ऊपर चडी बे गे. त्यारे ते मुनियें शासन देवतार्नु स्मरण कयुं,के हे देव! तुं मारी रदा करः त्यारें देवें भावी कयुं ले,आमा हुँ कोनी रक्षा करूं? जेमाटे बेदुमा • साधु ते कोण, अने धोबि ते कोण , ते कांश जणातुं नथी. कह्यु डे के श्लोक ॥ कुत्र गतोसि नो देव, वदेदेवस्तदा मुनि ॥ मुनिरजकयोंर्नेदो, झाय ते न मयाधुना ॥ १ ॥ कोयती रजको वा कः, संतोपःपोषवांचकः, ॥ कः पूज्यो वाह्यपूज्योस्ती, त्येवं नेदो न दृश्यते ॥ २॥ ५ ॥
हवे चार वस्तु डे ने नथी ते अपर पंञ्चाशीमो दृष्टांत कहे जे. ॥ नूपोमात्यमवोचदानय पुरात्त्वं त्वनिसंख्यानि कि, मस्त्यस्त्यादिमम स्ति नास्त्यवरकं नास्त्यस्ति नास्तीतरः ॥ नास्ति श्रेष्ठिपणांगने मुनिवरो व्याधो नृपं दर्शिताः, तान्वीदयाह किमत्र चापरनवे इष्टव्यमेतत्खलु ॥ ६ ॥ __ अर्थः-एक राजा प्रधानने कहे जे जे, नगरमाथी चार वस्तु लाव. त्यारे प्रधानें कह्यु जे ते वस्तुनां नाम मुजने कहो. ते वखतें राजायें समस्या कही, ते जेम के प्रथम एक वस्तु तो बे ने बे, बीजी वस्तु ले ने नथी, त्रीजी वस्तु नथी ने बे, अने चोथी वस्तु नथी ने नथी, ए चार वस्तु ल
आव्य. तेवारें प्रधाने एक शेठ, बीजी वेश्या, त्रीजो साधु, अने चोयो वाघरी, ए चारेने तेडी राजा प्रत्ये चारे वस्तु देखाडी, ते वस्तु जोड्ने रा जायें प्रधानने पूब्युं के, ए शुं पाण्यु. त्यारे प्रधान कहे जे के, या कहे ली चारे वस्तु आणी . तेमां आपना चारे प्रश्ननी अनुक्रमें चारे वस्तु जाणवी. जेम के प्रथम शेठने डे ने , बीजी वेश्याने ने नथी, त्रीजा साधुने नथी ने बे, चोथा वाघरीने नथी ने नथी, एम शहनव परनवर्नु कह्यु. तेवारें राजा समज्यो जे ए प्रधान बुद्धिवंत ॥ शेठ हमणां पण सुखी , अने दान थापे , माटे परनवें पण सुख पामशे. तथा वेश्या ने हमणां ले परंतु परनवें नथी. त्रीजा साधु ने हमणां नथी, ने परनवें पामशे. अने वाघरीने हमणां पण नथी, ने परनवें पण मल नहीं. क युं के, श्लोक ॥ सेवकस्य परीक्षायै, राज्ञा कथितमानवः ॥ समस्यया स्य चत्वारि. शीघ्र वस्तूनि मे पुरात् ॥ १॥ दोहा॥ सेवकसुबुदि समजीने, आणी वस्तु ज चार ॥ इह नव पर नव कारणे, सुखःख तणो विचार ॥ २ ॥
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