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श्रीनुवननानु केवलीनो रास. ७५
॥ ढाल बाणुंमी॥ ॥ गोरीके नयन बडे बडे रे लाला ॥ ए देशी ॥ कथन ए केवलीनां सु णी रे लाला, हृदयमां नपनो राग ॥ हो रे लाला ॥ अवसर ए वली दो हिलो रे लाला ॥ इम चिंते महानाग ॥ हो० ॥१॥ मोदे महाबल रा जा, मन रीजी मोहने रे, मोम देवा संयम पंथे धस्यो ॥ टेक ॥ इम चिंति ने उतावला रे लाला, जेष्ट सुत नयसार ॥ हो ॥ रति सुंदरी राणी तो रेलाला, जण्यो तेडी तिणिवार ॥ हो० ॥ मो०॥ २ ॥ राज जलाव्युं तेह ने रे लाला, सहु मंत्रीनी साख ॥ हो ॥ पोते महापूजा रची रे लाला, पूरिया याचक अनिलाष ॥ हो॥ मो० ॥ ३ ॥अमारि पडहो वजडाविने रेलाला, महामहोत्सव मंमाग ॥ हो० ॥ व्रत लेवाने संचयो रे लाला, .रंगनरें महाराण ॥ हो ॥ मो० ॥ ४ ॥ सामंत पुरजन मंत्रवी रे लाला, पांचशे लेई साथ ॥ हो ॥ अंतेतरी पणं केटली रे लाला, संगें धरी नर नाथ ॥ हो० ॥ मो० ॥ ५ ॥ पंच महाव्रत कचरे रे लाला, आवी ते के वली पास ॥ हो ॥ नृप ते केतिक नारियुं रे लाला, पांचसे नरगुं नलास ॥हो० ॥ मो० ॥ ६॥ कल्प किया तनी कला रेलाला, गीतार्थ गुण जेह ॥ हो ॥ पुण्योदयना प्रजावथी रे लाला, शिखी दिन थोडे तेह ॥ ॥ हो ॥ मो० ॥ ७ ॥ चौद पूर्वधर ते थयो रे लाला, अतिशयवंत अपार ॥ हो ॥ कुवलयचं केवली तदा रे लाला, आपी एहने गबनार ॥हो॥ ॥ मो० ॥ ७ ॥ पोतें शैलेसी करी रे लाला, कर्म खपावी शेष ॥ हो॥ परमपद पाम्या सही रे लाला,अमर थयो अलेख ॥ हो० ॥ मो० ॥ए॥ राजऋषि रूडी परें रे लाला, बली आचारय तेह॥ हो० ॥ सदबोध सदा गमयोगथी रे लाला, अरिनो लेतो लेह ॥ दो० ॥ मो० ॥ १०॥ गाम नग र पुर घागरें रे लाला, विचरे देश विदेश ॥ दो० ॥ मोहना बंधने मोड तो रे लाला, नर नारीना अशेष ॥ हो० ॥ मो० ॥ ११ ॥ उदय वदे ढाल ए कही रे लाला, में बाणुंमी अनूप ॥ हो ॥ अवसर लहीने चेतजो रे लाला, जिम चेत्यो बलि नूप ॥ हो० ॥ मो० ॥ १२ ॥
॥दोहा॥ ॥पाम्यो ते मुनि अन्यदा, अप्रमत्त गुणस्थान ॥ अकस्मात तव कप मुं, अति विशुम गुज ध्यान ॥१॥ सर्वगाथा ॥ १६६४ ॥