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श्रीभुवनजानु केवलीनो रास.
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रु ती सुणि शीक्षा हो ॥ ते० ॥ ८ ॥ चौद पूर्व ते जल्यो चूपें, उदय व दे अनूपें हो ॥ ते० ॥ पञ्चोत्तरमी ढालें चित धरजो, प्रमादने परिहर जो हो ॥ ते ० ॥ ए ॥
॥ दोहा ॥
|| मोह महाचरें तिथि समे, तन्मय देखी तास ॥ सनामां सदुको देखतां मुखें मेल्यो नीसास ॥ १ ॥ सर्व गाथा ॥ १३२६ ॥ ॥ ढाल बहोतेरमी ॥
॥ रंगी रातो चूडो ॥ ए देशी || सनायें बेठे सहु सेवके, पाणी जोडी रे तव पूढधुं एम ॥ जो जो मोहनो जोरो ॥ नीसासो याज नाथजी, प्रति लांबो ते मुखें मेल्यो केम ॥ जो० ॥ १ ॥ करकपालें थापिने, मुखें बोले रे हवे या मोत || जो० ॥ लवे पंखी नमाडतां, जिम जाए रे गोफ एली गोला सोत | जो० ॥ २ ॥ सदागमं वेरी सदा, मारो रे तुमे जालो अतीव ॥ जो० ॥ नेद बुझें तेहसुं मिल्यो, जय कामें रे ते संसारी जीव ॥ जो० ॥ ३ ॥ सदागम कहेसे सर्वे, अमारा रे ए आागल मर्म ॥ जो० ॥ जग जाने ते जलावरों, गहगहसे रे तिहारे चारित्र धर्म ॥ जो० ॥ ४ ॥ पुत्र पौत्रादिक गोत्रने, तव लणसे रे मली सघला लोक | जो० ॥ वंशो वेद थाशे तदा, मोह बोजे रें इस मेलतो पोक ॥ जो० ॥ ५ ॥ तेहवो कोइ नथी देखतो, जे विघटे रें ए इष्ट संयोग ॥ जो० ॥ सखेद देखी स्वामिने, यया जांखा में परषदना लोक | जो० ॥ ६ ॥ निश नामें नारी तिसे, कंध खालस रे वैकल्य अंग जंग ॥ जो० ॥ स्वप्न जंखन भ्रम शून्य ता, जुंनादिक रे निज परिकर संग ॥ जो० ॥ ७ ॥ मावा पासाथी नवी ने, करजोडीने हे सुण स्वामि ॥ जो० ॥ ए अनाथनो श्यो यारो, तुम दासियें रे एतो सीजे काम ॥ जो० ॥ ८ ॥ चिंताशी ए वातनी, ख वो मूंगर रे हणवो मूषक महामन्त्र || जो० ॥ कीडी नगारा कपरे, शी
की रे देवदि ॥ जो० ॥ ए ॥ ताजा तृणनी ऊपरें, कुहाडो रे जिम मारे कोय | जो० ॥ श्रारति ए तिम जाणवी, तुम नामें रे कुण अनमी होय ॥ जो० ॥ १० ॥ काल्हे कितुं दीतुं नहीं, मूर्छायें रे गले काली तेह ॥ जो० ॥ एकादशमा सोपानथी, वाल्यो पाठो रे जिम पवनें खेह ॥ जो० ॥ ११ ॥ हरषें कहे तव हेजमां, महाराजा रे मरकलडो देह