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________________ ४६ जैनकथा रत्नकोष नाग चोथो. पोतें एकलो संग्राम करतो महिमायें वध्यो. औषधीना महिमाथी कोई श स्व श्रंगें लागे नहिं. पितानी सेनाना सर्व शस्त्र बेदतो, सर्वने शस्त्र रहि त करतो हवो. ए रीतें पिताने तथा सेनाने शस्त्ररहित जेवारें करयां, तेवा रें राजा पाढो फस्यो. राजाने शस्त्र ज्ञान घणुं वे पण शस्त्र नथी तेवारें वि लखो तो हवो. एवामां विजयकुमार ने जयकुमार बेहु पितानी पासें वीने अपराध खमावी नमता हवा. पुत्रोने तिहां उलखीने परम उल्ला स पामतो हमेने वों खालिंगन करी राजा एम कहेतो दवा के हे वत्स ! तमारा वियोग दुःखें करीने तमारां देशाटना शो वर्ष ते सो कल्प सरखां मुने थयां, एम पितायें पुत्रप्रत्यें जेम स्वप्नादिक दीठां हतां तेम सर्व स्व नाकिनी बात कही, खाने वली ते राजा पोताना पुत्रनी मनुष्य बतां देवता जेवी ६ देखीने घणुं रीऊ पामतो हवो हवे जय विजयें पण घरथकी नि कल्या पी पाठा घेर ऋद्धि लइने याव्या त्यांसुधीनुं सर्व वृत्तांत कल्युं एवं पुत्रोनुं प्रतिशयवंत वृत्तांत सांजलीने पिता रीज्यो. पठी महोटा महोत्सवें पुत्रोने घेर तेडी लाग्यो, अने वे पुत्रने राज्यनी प्रार्थना करवा लाग्यो, त्यारें विजयना कहेवाथी जयकुमारने राज्यनो जार सोंपी राजा ऋण रा सहित मोह पामवाने यर्थे दीक्षा जेतो हवो. हवे जयकुमार नयधीर कुमारने राज्यनो नार यापीने विष्णुने बलदेव नी पेठें विजय राजानी पासें जय राजा स्वेच्छायें रहेतो हवो. पती जय वि जय वेडुना देश साधवा निकल्या, जेम रूपियो त्रण योगनुं साधन करे, ते म जयराजा त्रण खंमप्रत्यें साथतो हवो. त्रणे खंममध्ये प्राण वर्त्तावी कामपुर नगरे खाव्या. तिहां विजयराजाना नामथी कामपुरनुं नाम विज यपुर राख्युं, तिहां विजयराजा घणा कालसुधी वासुदेवनी पेठें राज्य जो गवतो घणा राजवीयोयें सेवातो काल निर्गमन करतो हवो. • एकदा जिनकल्पीनी पेरें एकला विहार करता एवा गुणाकर नामें केव ली भगवान् तिहां खावी समोसवा ते जाणीने जयविजय वे जाइ महो टी ऋषि ने पोतानी स्त्रीयो प्रमुख परिवारसहित केवली भगवानने वां दवा याव्या, वांदी यथोचित स्थाने वेसता हवा. पढी केवली जगवानें ध मदेशना प्रारंभी ॥ यतः ॥ अरिहंत देवो गुरुणो, सुसादुलो जिणमयं मह पमा ॥ इच्चाई सुह जावो, सम्मत्तं बिंति जगगुरुणो ॥ १ ॥ सम्मत्तंमि व
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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