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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. ४५ ताना कार्यनी चिंता था, राजाउने मत्सरनाव थयो, देखनारा लोकोने जय ने याश्वर्य ययुं, एटला वानां सर्वे सार्थेज थयां एवामां तहां एक देव ताना विमान सरखी कांति धरतुं एवं विमान याव्युं, तेमांथी “ विजयरा जा जयवंतो चिरंजीव रहो " एवी बिरुदावली बोलतो एक पुरुष श्राव्यो, विजयकुमरें जाएयुं जे कोइक बंदिजन मागण खाव्यो बे, एवामां तो ते बोल्यो के हे विजय ! तुं राजा मध्ये उत्तम बो. कारण के दक्षिण श्रेणिना राजायें पोतानी कन्या पराववाने हेतुये प्रज्ञप्ति विद्याने वचनें तुने तेडवा माटें मुने मोकल्यो बे, ते कन्या, रूपें करी उत्कृष्ट वे, माटे तेने उत्कृष्टां वर जुवे बे, तेथी में प्रसन्न थइने विमानमा उतावला बेसो. एटली मारी प्रार्थना सफल करो. एवामां वली वीजो तेनो सखाइज याव्यो होय नहीं ? एवा वि मानमा बेसी वैताढ्यनी उत्तर श्रेणिना राजानी कन्या परणाववाने अथ कुमारने तेडवा माटे एक पुरुष याव्यो, तेने जोइ कुमरें विचायुं जे एक प्रा दूष्णो होय तेने जोजनने खर्थे जेम वे नोतरां खावे, तेम पूर्वना पुण्यना उदय श्री गुं न होय ? इहां जाएगवं हतुं ते सर्वे में जाएयुं. एम विचारीने कुबडा पशुं बांकीने मूल स्वरूप प्रगट करीने जेम राम सीताने परणे, तेम पहेलां तो ते स्वयंवरवाली कन्याने परणी, पढी विमानमां बेसी वेदु श्रेणिपति राजा न विजयवती ने जयंती एवे नामें वे कन्याने परस्यो. तिहां जेम कामदेवनी सायें रति ने प्रीति वे शोने, तेम कुमर शोभतो थको ससराना श्राग्रहथी केटोएक काल त्यां रही, नित्य शाश्वता परमेश्वरनी पूजा करतो, पोताना आत्मा कृतार्थ मानतो दिवस निर्गमतो. जेवुं बीज वाव्युं होय, तेवा फल पामीयें एम विचारी बन्ने ससरानी आज्ञा मागी, विद्याधरना सैन्य सं घातें कामपुर नगरें श्राव्यो. तिहां सर्व पुर लोकें महोत्सवें कर कुमरने त्र ए प्रिया सहित नगरमा प्रवेश कराव्या. पती पृथिवीने संकीर्ण करतो थको विद्याधर राजानुं सैन्य सायें लेइ श्राकाशमार्गे विमानमां बेसीने जयकु मार सहित पोताना पिताना नंदीपुर नगरे याव्यो. नंदी पुरनो राजा य न्य राजाना सैन्यनुं खागमन जाली, त्रास पामी, निमित्तियाने पूढीने तेने वचने कल्याण मानतो, पोतानुं सैन्य लइ उत्साहवंतयको महोटा बरें युद्ध करवा सन्मुख धाव्यो. जेम वे नदीनो समागम थाय ते म बे सैन्यनो मांहोमांहे समागम थयो. विजयकुमार सर्वने निवारीने
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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