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________________ ४यत जैनकथा रत्नकोष नाग चोथो. श्रीसाधुरत्नसूरीश्वर प्रवर थया, जेणे मुजसरखाने पण हाथै ग्रहण करीने संसारकूपमाहेथी बाहेर काढ्यो ए पांच शिष्यनां नाम कह्यां. ते पूर्वोक्त श्रीदेवसुंदरगुरुने पाटे श्रीसोमसुंदर नामा गणिना इंश ते यु गप्रधाननीपेरें जयवंता वर्त ने तेमना पांच शिष्य महोटापुरुष निरपेदी, स हस्त्रनाम स्मृतिप्रमुख कार्येकरीने श्रीमुनिसुंदरसूरि जेवा गुरु प्राचीन आचा र्यना महिमाना धारक एवा श्रीजयचंइसरि थया तथा संघना अने गहना कार्यने करवा उजमाल एवा मुनीं श्रीनुवनसुंदरसूरि प्रधान तथा दूरवि हार करी गगने उपकारना कारक एकांगपणे एकादश अंगना धारक श्री जिनसुंदरसूरि निग्रंथ अनेक ग्रंथना कर्ता तेमना शिष्य श्रीजिनकीर्नि गुरु होताहवा ते गुरुना प्रसादथकी विक्रम संवत् १४५६ नावर्षे श्रीरत्नशेखर गणि कार्यनी संतुष्टियें ए वंदितासूत्रनी वृत्तिने करता हवा. जेम दधिमंथने करी अर्थात् दधिवलोववाना रवैयायें करी तेमांथी उत्क ट साररूप माखण शोधाय तेम चारवेदना समुह रूप अने पंमितोने विषे इसरवाएवा लक्ष्मीनश्नामा सूरिये प्रयत्नेकरी आ वृत्तिने शोधी. तथा प्र शंसाना नीपजावनार गणिसत्यहंसपंमितें गुरुनक्तियेंकरी या टीकानेविषे प्रथमदर्शने सांनिध्यपणुं कर्तुं एटले प्रथम लखावी,ए टीकार्नु नाम अर्थदी पिका के तेना अनुष्टुपश्लोक, मान ६६५४ महोटी चूर्तीि विविधजा तिनी वृत्ति तेने अनुसरीने अल्पमतिना धणी एवा में ए टीका करी ए मांहे जे उत्सूत्र होय ते पंमितें शोध ए वृत्ति घणाकाल जय पामो. श्रीतपागबनायक परमगुरु श्रीसोमसुंदरसूरि तेना शिष्य श्रीनुवनसुंद रसूरि तेहना शिष्य नपाध्याय श्रीरत्नशेखरगणियें आ श्रावप्रतिक्रमणनी अर्थदीपिका नामें टीका करेली तेनी उपर कोई पंमितने हाथे टबो नरेलो हतो ते टबानी प्रत श्रीधमदावादना रहेवाशी श्रावक रवचंद जयचंदनी स्थापन करेली विद्याशालाना नंमारमा हती ते प्रत आही श्रीमुंबश्मां विद्याशालाना आडतीया श्रावक जवेरी बोटालाल ललुनायें वांचवा सारु मगावी हती तेमनी पासेथी हुँ मागी लाव्यो. तथा एज पूर्वोक्त अर्थदीपिका टीकाने अनुसारे ते अर्थदीपिकानो ना वार्थ लइने श्रीगुरुनी कृपाथकी श्रीजिनविजय पन्यास प्रमुख सकलसंघ ना कह्याथकी श्रीशांतिनाथनगवानना प्रसादथकी पंमित हर्ष विजयगणियें
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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