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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. ४०७ धकार प्रगट थयुं एवामा कोश्क पंथीने मार्गे आवतो देखीने तेने गुणा करें पूज्यु के सथवारो केटलो एक दूर गयो ? तेवारे तेणें कडं के साथतो घणो वेगले गयो माटे ा असूरवेलाये तुजने नही मले तेथी तुं पाडगे वव्य रात्रिने समये गाम बाहेर रहेवूनही एम कहीने ते पंथिक गाममांहे गयो. हवे गुणाकर बाहेर रह्यो थको चिंतवे ले के मित्र थइने उर्जननी पेरे कह्याविना केम जतो रह्यो में कां एने उहयो तो नथी अथवा को 5 र्जने तेनुं व्युदाहित चित्त कयुं हो ! वली विचायुं जे संसारनी कारमी माया ने सर्व कोइ स्वार्थनुं सगुंडे माटे ए संकल्प विकल करवाथी गुं था य माटे हवे तो ए देशांतरने विषे ज्यां होय त्यां एने कुशल होजो अने कोडोगमे लकी उपार्जिने वहेलो आवजो हवे हुँ एकलो शीरीतें लक्ष्मी न पार्जिश अने मित्रविना व्यापार पण थाय नही महारे कांड पुंजी नथीपि ताने इव्ये पण लक्ष्मी नपार्जवी घटे नहीं मुजने पितानी लक्ष्मी नोगव वी तथा पितानी लक्ष्मीय दान पुण्य करवू पण घटे नहीं हुँ पारकी मुडि यें व्यापार करूं तो ते परानव, कारण थाय. जे पारकी मुडियें व्यापार करे ते निरधिकार ने वली ते अधमपुरुप जाणवो त्यां सुधी ते पुरुषनी लाध्यता, तथा त्यांसुधी ते पुरुप गुणी कहेवाय के ज्यां सुधी धनने अ र्थ कोइना मुख साहामुं जोवु पडे नही; तथा वली लक्ष्मीनपार्जिने सुपात्र ने पोष्याविना अने दुःखियानां दुःख टाव्या विना हे जीव! तुं गुणाकर पण केम कहेवाश्श माटे हवे जेवारे पोताना जाग्ययोगथी कोरीतें कांश क धन, उपार्जन करूं तेवारेंज महारे घेर जर्बु त्यांसुधी घेर जवू नही. एम विचारी रिहित ले हृदयजेनुं एवो गुणाकर ते पोताना नाग्य नी परीक्षा करवा साधुनी पेठे शून्यथको ते रात्रिये तिहांज रहेतो हवो एवामां तिहां पासेज एक वटवृक्ष ले तेने विपे एक नुजिष्य नामे यदा ज रहे ले ते यदनी पासें एक बीजो यद नतावलो अजुवालु करतो आ काशथी नतरीने आव्यो ते अजुवालु जो गुणाकर विस्मय पाम्यो थको त्यां बानो मानो वेगे रह्यो हवे ते यद पोताना स्वामी नुजिष्य यदने बानी वात कहेतो हवी के हे स्वामिन् ! हांथी शो योजननी उपर श्रीपुरनामें नगर . तिहां लक्ष्मीवंत कोटीध्वज घणा व्यवहारिया रहे जे ते सर्वमां आठ व्यवहारिया मुख्य ते दीन स्थितने आधारनूत ने तेनां नाम कहुँ
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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