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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. ४०३ यतः ॥ गुणिनः समीपवर्त्ती, पूज्योलो केहि गुएविहीनोऽपि || विमले प्र संगा, दंजनमाप्नोति कालादि ॥ १ ॥ जावार्थ:- गुणिनी समीप रहेनारो पु रुप, जो गुणहीन ने ते पण लोकमां पूजनीय थाय छे. निर्मल नेत्रना सं थकी कांणुं नेत्रपण अंजन पामे बे ॥ १ ॥ • एवी सामुझिक नरनी वाणी सांजलीने गुणधर पोताना हृदयमांहे घ लो खेद पाम्यो पण लोकलकाथी मौन रह्यो. कांइ बोल्यो नही परंतु म नमी एवो विचार करवा लाग्यो के हुं गुणधर तो खरो के जो शोल कोड सोनेया उपार्जु ने सामुश्किनुं वचन अन्यथा करूं तो पती महाराजा ग्यनो उदय सर्वने देखाई एवो व्यहंकार की हुईर गर्व धरतो गुणाकर नी साथै नानाप्रकारनी क्रीडा करतो आागल चाल्यो मार्गमां एक धर्मशा ला यावी ते धर्मशालामांहे विविधप्रकारें धर्मनी प्ररूपणा करता जालिये धर्मन मूर्त्तिज होनी शुं ! एवा धर्माचार्यने देखी यानंद पामी ते याचा येने वांदीने तेमने वांछित लक्ष्मी उपार्जवानो उपाय गुणाकर पूछतो वो ते सांगली प्राचार्य ते गुणाकरने जेवामां उत्तर खापवा तत्पर थया तेवामां तो ते गुणधर बोल्यो के में तुजने पूर्व कोज वे जे व्यापारथी लक्ष्मीनं उपार्जन थाय ने तो वली यांही शुं पूजे ले ? एवं गुलधरनुं वचन सांजली गुणाकर बोल्यो के तें कयुं ते तो हुं जाएं बुं पण या साधु विशेषना जा ले माटे एमने विशेष प्रकारें पूरं तेवारे प्राचार्य बोल्या हे गुणाक र ! तुं धर्मनुं आराधन कस्य जेथकीतुं अनर्गल लक्ष्मीनुं उपार्जन करीश. जेम बीज ते फलनुं मुख्य हेतु वे अर्थात् कारण वे वृहने पाणीसींचवानी पेठें उद्यमादिक ते सहकारि कारण वे तेथी सस्य सहजे नीपजे बे तेम धर्मनुं फल ते मोद बे तो लक्ष्मी पामवी एमां शुं कहेतुं जेम कण नीपज वानुं मुख्य हेतु बीज जो बीज वाव्युं होय तोज पाणीसेचनादिक सर्व सामग्री फलदायक थाय. • कोक प्राण माह्या पण बे लक्ष्मी उपार्जवानी कला पण जाणे बेन म पण घणो करे ले पण दरि देखाय में ने कोइकमांतो लक्ष्मी न पार्कवानी कला पण मूलथीज नथी तेम उद्यममां पण बालसु बे तथा पि घणी लक्ष्मीना धणीथका जोग जोगवे बे. उक्तंच ॥ समास्वतुल्यं विषमा सुतुल्यं, सतीष्वसच्चाप्यसतीषु सच्च ॥ फलं क्रिया स्वित्यपि यन्निमित्तं, तदेहि
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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