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अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. ३७५ तिथिने विषे यावत् पोषधशालामांहे पोषधसहित अमनत्तें पोसहनुं प्रति जागरण करतो थको विचरे. इहां अमनत्त करवाथकी लागत त्रण दिवस पोसहनुं ग्रहq थयुं एयी पर्वथकी अन्यदिवसें पण पोषध लेवानी आझाले.
जे एम कहेके तिथिविना पोषध लीये ते अविधि करे जे तेने कहेवू के अजयकुमार कार्य करवाने नद्देशे त्रण दिवस पोसहमा रह्या अने विजय राजा कार्यने उद्देशे सात दिवस पोसहमा रह्या. श्हां जो अविधि होय तो वांदितकार्यनी सिदिन नीपजे अविधिथी तो साहामो नपश्व थवो जो ये जेम अकालें सजाय करे ने तेने वांडितकार्यसिदिनो संशय रहे , श्रीज्ञाताधर्मकथांगसूत्र तथा वसुदेव हिंम प्रमुख बागममांहे साक्षात्कयुं डे. यतः ॥ सवेसुकाल पवेसु, पसबो जिएमए तहाजोगो ॥ अहमि चनदसी सु, नियमेण हविऊ पोसहि ॥ १ ॥ नावार्थः-सघलां पर्वमा सर्वकाल नेविषे प्रशंसवायोग्य यथायोग्य वीतरागना मतनेविषे अष्टमी चतुर्दशीमां हे निश्चे पोसह करवो ॥ १ ॥
तथा आवश्यकचूर्णिनेविपे पर्वदिवसें निश्चे पोसहनुं व्रतकर कह्यु ले प रंतु अन्यदिवसें पोसह करवानो नियम नही परंतु सर्वथा निषेध नथी नही ज करवो एवो कोइ आगमनेविषे तेनो निषेध नथी ने सांजव्यो पण नथी. पोषधोपवासनो तथा अतिथिसंविनागनो तो निश्चित दिवसनो नियम नथी, श्रीहरिनइस रिकत आवश्यकनी महोटी टीकानेविपे तथा श्रावकप्रज्ञप्ति थनी वृत्तिने विपे साक्षात् कर्तुं तेनो जेवारें निषेध करे ने तेवारें तेणे ग्रंथ कारनो अभिप्राय जाण्योज नथी ते एम कहे वे के जेवारे सर्व दिवसें पोस ह कराय तेवारें पर्वदिवसें पोसह करवानो शो विशेष के ? तेने कहियें बैयें के पर्व दिवसें अवश्य करवो एज विशेष के अन्य दिवसें नियम नथी जे करे तेने नाकारो नथी एटलो विशेष ,जेम आवश्यकवृत्तियादि ग्रंथमध्ये श्रावकनी पांचमी प्रतिमाने अधिकारें कह्यु ले के दिवसें ब्रह्मचर्य निश्चं पा लवु एवं कहेवाथी एम न समजवू के रात्रियें न पालवू परंतु रात्रियें प ण अवश्य पालवु एतो पोतानी मेलेज जाणीले के जेवारें दिवसें निषेध कयुं तेवारें रात्रिये निषेध जाणवूज.
जो एवो नियमज होय के पोषध नित्य करवो तेवारें तो अतिथिसंवि जाग पण नित्य करवो जोश्य, माटे पोषध कस्यो होय तोज अतिथिसंवि