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________________ ३७२ जैनकथा रत्नकोष नाग चोथो. शय्या बाजोट, पाटीया प्रमुखD जाणवू. अने उच्चार ते वडीनीति, प्रसवण मातरं लघुनीति; तेने परतववानी नूमिका तेना बार मामला जाणवां लघु नीति तथा वडीनीतिनी आबाधा न सही शके तेमाटे पोषधशालामांहे ब मामला अने बाबाधा सही शके तो मामला पोषधशालाथी बाहेर करे तिहां बाघाट एटले अकस्मात् आबाधा थइ गइ रहेवाणुं नही तेने माटे मांहे मामलां करे अने जे याबाधा रहि शके ते अनाघाट कहियें तेनाल मामला बाहेर करे. प बार मामलां विष्टा मुत्रना स्थंमिल जाणवां. ___ हवे मांझनु जघन्यथी एक हाथर्नु अने हेतुं चार आंगुल धरतीमांहे ए टले हेती चार प्रांगुन नूमिका अचेत जोड्ने थुक श्लेष्मादिक, परतवई करे तेने विधियें पुंजी विधियें जोइने परतरतुं तेनेविपे प्रमाद न करवो यहां संथारो शय्यादिक तेने नेत्रं करीने जोयुं नही होय अथवा जोयुं तो यहा तहा कांश जोयुं कां नहीं जोयुं अथवा रूडीरीतें जोया बिना वे सवु नवु कीधुं होय ते प्रथम अतिचार जाणवो. २ एम रजोहरणेकरी पुंज्युं न होय अथवा पुंज्युं तो कांइ पुंज्युं कां नहीं पुंज्युं एम ःप्रमाऊन करे थके बीजो अतिचार, ३-४ एम लघुनीति वडीनीति एटले उच्चार पासवण परतववानी नूमि काना पण एज वे अतिचार कहेवा.ए चारे अतिचार अनाउपयोगे जाणवा. ___५ पांचमुं पोसह विहिववरीए एटले पोपधना विधिथकी विपरीत पो पध कीधे थके अर्थात् चार प्रकारनो पोसह ते रूडीरीतें पास्यो नही पण जेवो तेवो पास्यो अर्थात् जेवेलायें लेवो ते वेलायें पारवो जोश्ये तेम न करतां सवारो पारे तथा अन्यथा विधि करे पण रूडीरीतें धाराधे नही जेमके आहागदिक चारे प्रकारनो पोषध कस्यो बे पड़ी ते दुधायें तृषायें पीडित थको एवी चिंतवणा करे के था पोषध तरत पूर्ण थाय तो पड़ी ढुं आ अमुक वस्तु खाइश अमुक वस्तुनुं पान करीश इत्यादि आहार सं बंधि अनिलाषा करे. तथा शरीरसत्कारादिकनां दुर्थ्यान सर्व चित्तमां चिं तवे जे पोषध पूर्ण थशे पड़ी हुँ म करीश आम करीश इत्यादि उर्ध्यान चिंतववा रूप पांचमो अतिचार. सूत्रकार कहे जे के "अप्पडिलेहिब उपडिले हिथ सबासंथारए” ए प्रथम अतिचार तथा “अप्पमङिय कुप्पमङिय सद्यासंथारए” ए बी
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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