SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 381
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. ३६ए चरे तेने नियमा सामायिक उच्चरकुंजोयें अने जे सर्वथी देहेराने विषे अथ वा साधुनी पासे अथवा पोताना घरने विषे अथवा पोषधशालानेविषे मणिमु शदिक सुवर्ण सर्व बांझीने पोसह लश्ने नणे, गुणे, पुस्तक वांचे. धर्मध्या न ध्याय, साधुना गुणनु चिंतन करे, तथा विचारे जे अहो ढुं मंदनाग्यनो धणी जे साधुपणुं लेवाने असमर्थ बु,आवश्यकनी चूर्णिमध्ये तथा श्रावक प्रज्ञप्तिग्रंथनी टीकादिकनेविषे ए सर्व कह्यु : के सावध वर्जनरूप जे सामा यिकनुं अर्थ ते पोषधमांहे नेलो ने तो पण पोषध सामायिक लक्षण वेदु व्र तनुं याराधन ले ए अनिप्रायें करीने फलनो विशेष करवो. ए बाहारादिक चतुर्विध पोषधना एकादि संयोगें एकेक पदें गणियें तेवारें एंशी नांगा थाय तिहां एकसंयोगी एना मूल नांगा आठ थाय अने किसंयोगें नांगा थाय ते आवीरीतें के ? अहारपोसह अने शरीरसत्कार पोसह, २ अहार अने ब्रह्मचर्य, ३ अहार अने अव्यापार, ४ शरीरसत्कार अने ब्रह्मचर्य, ५ शरीरसत्कार अने अव्यापार,६ ब्रह्मचर्य अने अव्यापार ए हिकसंयोगी मूल नांगा थाय तेना नुत्तर नांगा चोवी का थाय ते जेम के एक हिकसंयोगियाना चार नांगा थाय ते कहियें बैयें १ देश देशथी, २ देश सर्वथी, ३ सर्व देशथी, ४ सर्व सर्वथी ए चार नां गाने मूल नांगानी साथें गणतां चोवीश नांगा किसंयोगी थाय. हवे त्रिकसंयोगिया चार नांगा मूलगा थाय ते आवीरीतेः-१ आहार पोसह, शरीरसक्कार पोसह अने ब्रह्मचर्य पोसह, २ आहार शरीरसक्कार अने अव्यापार, ३ श्राहार ब्रह्मचर्य अने अव्यापार, ४ शरीर, ब्रह्मचर्य अने अव्यापार ए मूल त्रिक संयोगिया चार नांगा थया. हवे एना नुत्त र नांगा बत्रीश थाय ते आवी रीते केः-१ देश देश देश, देश देश सर्व, ३ देश सर्व देश, ४ देश सर्व सर्व, ५ सर्व देश देश, ६ सर्व देश सर्व, ७ सर्व सर्व देश, ७ सर्व सर्व सर्व, ए आठ नांगाने पूर्वोक्तने मूल चार नांगा नी साथै गुणीये तेवारें बत्रीश नांगा थाय. तथा चतुःसंयोगी मूल एकज नांगो थाय ने तेने देशथी अने सर्वथी गुणीये तेवारें शोल नांगा थाय. ते आवी रीतेंः-देश देश देश देश, देश देश देश सर्व, ३ देश देश सर्व देश, ४ देश देश सर्व सर्व, ५ देश सर्व देश देश, ६ देश सर्व देश सर्व, ७ देश सर्व सर्व देश, देश सर्व सर्व सर्व, ए
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy