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________________ जैनकथा रत्नकोष नाग चोथो. दिक परीक्षायें वेचाय ते पारिन्जेद जाणवो. ए प्रथम धन परीग्रह कह्यो. अने धान्यना चोवीश नेद प्रथम कह्या जे. वली सत्तर जातिना धान्य पण कहेवायचे अथवा धान्यना अनेक नेद , ते प्रथम श्रीप्रवचनसारोवार तथा बार व्रतनी टीपमा सविस्तर लवाइ गया . इहां धन अने धान्य ए बेहुनुं मलीने एक अतिचार जाणवू. कारण के धननु तथा धान्यनुं परिमाण कयुं चे, ते उपरांत कालांतरादिके जेवारें व ध्यु, अधिक युं जाणे, तेवारें पूर्वे जेनी कपर लहेणुं होय ते ग्राहकने कहे के हमणा टुं तहारे बेरज राखी मूक, जेवारें महारे खपशे तेवारें हूं तहा री पामेंथी लग. अथवा संचकार आपीने तेनेज घेर राखी मूके अने तेने कहे के आ महारो थको पड्यो ,तुं बीजा कोश्ने आपीश नहीं. अथवा महोटा न्हाना कोठारादिक होय तो ते सर्वने महोटानी गणती करी राखे, ते धन धान्य प्रमाणातिकमरूप प्रथम अतिचार जाणवो. बीजो खेत्र वास्तु प्रमाणातिकम अतिचार, तिहां खेत्र त्रण प्रकारना ने. एक सेतु,वीजा केतु यने त्रीजा सेतु तथा केतु ए उनयात्मक जाणदा. तिहां अरहट्टादिकने जलें करीने ने धान्य नीपजे तेने मेतु कहिये अन वरसातना पाणीयें करी जे धान्य नीपजे तेने केतु कहियें तथा जे वरसा तना जानें अने वाव्यना जलें ए वेदुथी ज्यां धान्य नीपजे ते त्रीजो उन्नया त्मक कहियें. एत्रण नेद कह्या. तथा वास्तु जे ग्रह ग्रामादिक तिहां घर ना त्रण नेद . एक खात, बीजुं ननित अने त्रीजुं खातोत्रित. तेमा खा त ते मुंशरा प्रमुख अने नबित ते प्रासाद शिखरब६. तथा खातोलित ते मुंइरानी नपरें प्रासादादिक करवा ते जाणवू. ए खेत्र वास्तुनुं एक अथवा वे इत्यादिक परिमाण कयुं होय थने तेथी अधिक अनिलापा थाय तेवारें पोतानुं खेत्र अथवा घरनी पासेनुं खेत्र अथवा घर वेचातुं लश्ने पनी व्रतनं गना नयथा वाड तथा नीतादिकने ब्रोडी पूर्वला घर अथवा खेत्रसाथै ने ली वेदुनु एक करी मूके ते खेत्रवास्तु प्रमाणातिकमरूप बीजो अतिचार. । त्रीजो रुप्य तथा सुवर्णर्नु पूर्व प्रमाण कमु ले तेथी अधिक थतुं देखे तेवारें लोनने वशे स्त्री पुत्रादिकने थापे ते त्रीजो रुप्य सुवर्णातिकमरूप अतिचार. चोथो कुप्य ते रुप्य बने सोनाविना शेष कांसुं, लोहोहूँ,त्रांचं, पीतल, सीसुं अने माटीनां वासण तथा वांसना, काष्ठना हल,गाडा, शस्त्र,मांचा,
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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