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________________ अर्थदीपिका, अर्थ तथा कथा सहित. १४७ " के मो शाहुकार ढैयें, तेथी घडी एक पण कोइनुं देवं राखीयें नहिं. एम कहने ते हजामनी शालायें गयो. त्यां हजामत करावीने हजामने कयुं के तारी स्त्रीने मारी सार्थे मोकल, एटले दुं हजामत करावाना पै शा श्रापुं, एम कही ते हजामनी स्त्रीने लइने तंबोलीनी झुकाने जातो ह वो. ते हजामनी स्त्रीने बाहार उनी राखी पोतें तंबोलीनी दुकाने तंबोल प्रमुख महीने तेने कहेतो हवो के मारी स्त्री- इहां वेठी बे ने हुं ताहरा मा गला पैशा हमलांज लावुं बुं. वली बाहेर याव्या पठी ते स्त्री प्रत्ये एक क तो हवो के तारूं पण जेणुं हुं न यावुं बुं. तिहांथकी पूर्वोक्त सर्वे वस्तु ग्रहीने एक मोसीने घरे खाव्यो, अने तेने कहेवा लाग्यो के हे मात ! हुं त मारो पुत्र बुं, या सर्व चीजो जे हुं लाव्यो बुं, ते तमे व्यो. मोसीपण ते वस्तु लइने हर्ष पामी की तेहने पुत्रीनी पेरें जाणवा लागी ने इव्य प्रा प्याथी को संबंध, सिद्धि न पामे ? सर्व कार्य सिद्धि पामेज. ते धूर्त ह वे निश्चिंत मन को ते मोसीने घेर सुखथी रहेतो हवो. वे जेनी पासेंथी प्रथम जोजननो सामान लीधो हतो ते वाणीयो पुत्र न आव्यो जाणीने तेनी शोध करवा निकल्यो, त्यां तेने शोधतां पो ताना पुत्रने दोशी वाणीयानी दुकान पासें रमतो देख्यो, तेथी ते दोशी वा याने कवा लाग्यो के या माहरो पुत्र तमारी दुकाने क्यांथी याव्यो ? तेवारें ते दोशी वाणीयो बोल्यो के ए ताहरो पुत्र नथी, पण एहनो बाप तो वस्त्रनुं नाणुं जेवा गयो बे, त्यां सुधी ते बोकराने यांहीं वेसारी गयो बे. एटला माटे जो ताहरो पुत्र होय तो तुं इव्य यापीने लइ जा, तेम के देवाथी ते बन्ने जलने मांहोमांहे घणोज ऊगडो थयो. ते समयमां हजाम पण पोतानी स्त्रीने शोधतो शोधतो तंबोलीनी 5 काने खायो, ने तंबोलीने कहेवा लाग्यो जे या मारी स्त्री तारी दुकाने क्यांथी यावी ? त्यारे ते तंबोली बोल्यो के ए स्त्रीनो धणी तो तंबोलना पैशा जेवा गयो बे, त्यां सुधी या स्त्रीने यांही मेली गयो बे. ते स्त्री जो ताहरी स्त्री होय तो तुं नाएं आपीने सुखेंथी लइ जा. एम तंबोलीना बोल वा ते हजामने पण तेनी साथै घणीज तकरार थइ. एम ते चारे जणां वढतां वढतां राजा पासे गयां, राजा ते चारेनी वात सांजलीने विस्मय पामतो हवो. ने खेद पामी कोप्यो थको कोटवालने तेडावीने कहेतो
SR No.010249
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages477
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size63 MB
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