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श्रीनेमिनाथनो रास खंम त्रीजो.
न्य मोन्जव कोतुक नाव्या जी॥पा॥ सदु जादव निज निज ठामें जी ॥६॥ थापे हरि माहागुण कामें जी पाए॥ गुन दिवसें गुन मुहूरतें जीह सद आवे निज निज सत्तें जी ॥पा॥ सिंहासने थापी कान जी ॥हा॥ बनी बलदेवने बद्ध मान जी॥पा॥१॥अनिषेक करे मन रंगें जी॥६॥ सुर सान्निधे जादव संगेंजी ॥पा०॥ सोल सहस मलीरानान जी॥६॥ मंगल जय जय तिणे थान जी ॥ पा० ॥ ११ ॥ गंगा मागधनां पाणी जी ॥हा॥ देवता ते थानक आणी जी॥ पा० ॥ मणि कनकना कलश ते नरिया जी ॥ ह ॥ अनिषेक करे परवरिया जी॥ पा० ॥ १२ ॥ सोल स हस ते गोविंद परणे जी॥ह ॥ सहस करे बलि शरणे जी ॥पा०॥ जादवना कुमरने आपे जी॥ह ॥ शेष आठ सहस निन्न थापे जी॥पा० ॥ १३ ॥ करे विवाह मोबव नारे जी ॥ ह० ॥ हवे विसर्जे सदुने त्यारे जी ॥ पा० ॥ दशाह ते दश बलदेव जी॥हा॥ शोल सहस राजान व ली हेव जी॥पा॥१३॥ साडा त्रण कोडी कुमार जी॥हा॥ प्रद्युम्न प्रमु ख वली सार जी ॥ पा० ॥ सांब प्रमुख ते सात हजार जी॥ ह० ॥ उर्दी त महा जोधार जी॥पा० ॥ १५॥ वीरसेन प्रमुख वली जेह जी॥ह॥ एकवीश सहस कह्या तेह जी ॥ पा॥ बीजा पण केरहजार जी॥हा॥ पाले कमनी बाणा सार जी ॥ पा० ॥ १६॥ करे क्रीडा नव नव रंगें जी॥ह ॥ बदु कौतुकें अति नबरंगें जी॥ पा० ॥ कानन आराम नद्या न जी॥हा॥ सरिता सर वावि ने थान जी ॥ पा० ॥ १७ ॥ क्रीडापर वतें विचरंता जी ॥ ह ॥ निजनारी सहित सुखवंता जी॥ पा० ॥ सुरलो कमां सुरपरें जाणो जी ॥हण॥ गयो काल न जाणे तिण गणो जी ॥पा॥ ॥ १७ ॥ हवे समुऽविजय शिवा देवी जी ॥ ४० ॥ सदुनी वात देखी एह वी जी ॥ पा० ॥ कहे नेमि कुंवरने वाणी जी॥हा॥ नारी परणो एक गु । खाणी जी॥ पा० ॥१॥ अम पूरो मनोरथ पूत जी॥ह० ॥ सफलु यौवन नारी जुत्त जी॥ पा० ॥त्रण झानी नव नदवेगी जी॥हा॥ कहे नेमि जिणंद वैरागी जी॥ पा० ॥ २० ॥ कन्या जब योग्य ते लहीयें जी ॥ह ॥ तव पर| एम अमें कहीयें जी ॥ पा० ॥ ए नारी नरगनी बारी जी॥ ह ॥ हफल नववननी क्यारी जी ॥ पा॥१॥ जे मूरख लोकें सेवी जी ॥ ह ॥ सुणो माता तुमें शिवादेवी जी ॥ पा० ॥ बोलवू घटे ए