________________
श्री नेमिनाथनो रास खंग बीजो.
२. एय
कहे शीलथी रे, होवे जयजयकार रे ॥ २५ ॥ द्यो० ॥ सर्वगाथा ॥ ४६४॥ ॥ दोहा ॥
॥ साथमांहे नेली थई, तव आव्या तिहां चोर ॥ रूंध्यो यावी साथ ने, करता ते प्रति सोर ॥ १ ॥ बीक होये धनवंतने, निर्धनने शी बीक ॥ बीक साचापक नली, जिम जांखुं हुं लीक ॥ २ ॥ चिंता व्रतवंता जली, पास निरीक || शीलवंत बीये घणुं, नवि जाय नारी नजीक ॥ ३ ॥ जाय होय तेहनुं सदा, नवि होय तस गुंजाय ॥ देवपणुं हारी करी, जु एकेंयि याय ॥ ४ ॥ तेमाटें ए लोकने, लागी महोटी वीक ॥ यामा अव ला नासता याव्या चोर नजीक ॥ ५ ॥ दवदंती कहे सांजलो, न करो बीकलगार || कुलदेवी वाणी परें, सहु सांनजे तिल वार ॥ ६ ॥ ॥ ढाल सोलमी ॥
॥ ॐ कलाला नर घड़ो हे, दारुडारो मूल सुखाय ॥ ए देशी ॥ मुक ari केम लूंटशो है, इम कहे दवदंती नार ॥ पण नवि जाये तसकरा है, तव कीधो हुंकार ॥ १ ॥ रायजादी बोजे वचन रसाल ॥ ए टेक ॥ तव नाव ते तसकरा है, बधिर ययुं सवि वन्न ॥ तेह साथना सहु जना है, चिंते इणि परें मन्न ॥ २ ॥ रा० ॥ खापणने पुण्यें करी हे, यावी कोइ वन देवि ॥ चोरथकी राख्या इसे हे, हुंकारे ततखेव ॥ ३ ॥ रा० ॥ प्रणमी सा
पवनवे हे, केम रमां फरो मात ॥ को तमें बो ते कहो है, तब कही सजीवात ॥ ४ ॥ रा० ॥ सार्थप कहे कर जोडीने हे, नलनारी यम मा य ॥ तस्करथी राख्या वली हे, तिरो तुमें जीवित दाय ॥ ५ ॥ रा० ॥ करी श्राश्वास राखी घरे है, देवीपरें याराध ॥ वर्षा तिल टाणे थई हे, वरसे वारि अगाध || ६ || रा० ॥ त्रण रात्रि वरष्यो तिहां है, विरम्यो, मेघ ति वार ॥ साथ मूकी आागल गई है, दवदंती मनोहार ॥ ७ ॥ रा० ॥ नल वियोगना दिवसथी है, चौथ नक्त करे नीत ॥ मंद मंद जातां थकां है, दे खे एक ते जीत ॥ ८ ॥ रा० ॥ राक्षस एक दीगे तिहां है, यम नृपति मा नुं पूत ॥ श्याम श्रमावास्या परें हे, काजल परें जेम नूत ॥ ए ॥ रा० ॥ खानं खानं करतो थको हे, शेषनाग परे तेह ॥ नारी धैर्य घरी कहे हे, खाएं मारी देह ॥ १०॥० ॥ पण एक माहरी वातडी है, सांनल तुं थिर थाय ॥ जन्म्या ते मरवा जणी हे, तेहमां बीक न कांय ॥ ११ ॥ रा० ॥ कर्म क