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श्रीनेमिनाथनो रास खंम बीजो. २३५ तुम्ह विरह मुफ मत होजो ॥ ला ला ॥ पूछे कारण तास कुं॥ तव श्यामा कहे एणि परें ॥ला ।ला० ॥ सांजलो धरि नन्नास ॥२३॥कुं॥ किन्नर गीतपुरी जली ॥ ला ॥ला ॥ गिरि वैताढयमा सार ॥ कुं० ॥ अर्चिमाली तिहां राजियो ॥ ला ला॥ तेहने दोय कुमार ॥२॥कुं॥ ज्वलन अशनिवेग नामथी ॥ला० ॥ला० ॥ ज्वलनवेग वे राज्य ॥ कुं॥ अर्चिमाली व्रत आदयुं ॥ ला॥ ला ॥ साधे बातमकाज ॥कुं॥२५॥ अंगारक तस सुत नपनो ॥ला ला॥ ज्वलननी विमला नारि ॥कु०॥ अशनिवेगनी हुँ धुवा लागला ॥ सुप्रना मात मलार कुं० ॥ २६ ॥ अशनिवेग जाइ प्रतें ॥ला ॥ला० ॥ ज्वलनवेग वे राज ॥ कुं०॥ देवलोक ते पामीया ॥ला ॥ला॥ नूपात थयो मुफ ताय ॥२७॥कुं०॥ राज्य ग्रहे विद्या बलें ॥ला ॥ला०॥ अंगारक नत्रीज ॥ कुं०॥ अशनिवे ग अष्टापर्दै ॥ला ॥ला० ॥ यावे मन धरि खीज ॥२७॥ कुं०॥ चार एणमुनि तिहां पेखीयो ॥ला० ॥ला० ॥ पूरे प्रश्न उदार ॥ कु० ॥राज्य थ को मुफ के नहिं ॥ ला० ॥ ला० ॥ मुनि बोले तिणि वार ॥ २ ॥ कुं० ॥ तुफ पुत्री श्यामापति ॥ला०॥ला० ॥ गज जीत्याथी जाण ॥ कुं० ॥ तास प्रनावथकी हो ॥ ला ॥ला ॥ हरव्यो मुनिवर वाण ॥३०॥ कुं० ॥ नगर वसावी मुफ पिता ॥ ला० ॥ला०॥ मुनिवचनें कहां गाय ॥ कुं० ॥ विद्याधर दोय मोकले ॥ला ॥ला० ॥ जलावर्ते नित राय ॥ ३१ ॥ कुं० ॥ देखी गज ऊपर चढयो ॥ ला० ॥ला ॥ आण्या तुम इण ठार ॥ कुं० ॥ मुफ परणावी वेगमु ॥ ला॥ला ॥ श्यामा नामें नार ॥३२ ॥ कुं० ॥ बीजे खंमें सातमी लामाला॥ ढाल प्रथम अधिकार॥ कुं० ॥ पद्मविजय कहे पुण्यथी ॥ ला ॥ ला० ॥ होवे जयजयकार ॥३३॥ कुं० ॥
॥दोहा॥ ॥ श्यामा कहे सुण स्वामीजी, पुण्यवंत शिरदार ॥ तुम्हने घात करे र खे, ते अंगार कुमार ॥१॥ धरणें विद्याधरें, कीधो ने बाचार ॥ अतीत काल बहु नपरें, सांजलजो निर्धार ॥२॥ जिनवर चैत्यनी ढकडां, नारीत था मुनिपास ॥ मारे विद्या तेहनी, होवे सर्व निराश ॥ ३ ॥ ते कारण तु म्ह वीन, विरह म थाजो स्वाम ॥ एकाकी तुम्ह पापीयो, रखे हणे को ६ गम ॥ ४ ॥ वाणी तेहनी सांजली, अंगीकरे वसुदेव ॥ काल विनोद