________________
श्रीनेमिनाथनो रास खंग पहेलो. पिया हो लाल ॥ पा० ॥ कोइक मौन धरी रह्या, मानु अजाणीया हो लाल ॥ मा० ॥ कोश्क बोले असंबद्ध, लोक हसावता हो लाल ॥ लो०॥ पण को उत्तरपद, करण नवि पावता हो लाल ॥ क० ॥२॥ सर्व निलीन थया जब, प्राणी बक परें हो लाल ॥ प्रा० ॥ तब हसता देता ली, कहे के इणिपरें हो लाल ॥ कण्॥ नो नो सरस्वती नारी, तेणें स्त्री पद करे दो साल ॥ ते ॥ कोई कहे जीत्या नारी, तोही जीवित धरे हो लाल ॥ तो० ॥ ३ ॥ कोइ कहे त्रिया राज्य, ए कारण जाणीयें हो लाल ॥ ए० ॥ एणिपरें थयो कोलाहल, ते जनवाणियें हो लाल ॥ते०॥ एम असंबद देखी, नूपति मन चिंतवे हो लाल ॥४०॥ कृष्ण करी मुख दृष्टि, जूनाग समी तवे हो लाल ॥ ॥ ॥ गुण सवि जगमां
आय, रह्या गुं एटला हो लाल ॥र० ॥ राजकुमर मलिया डे, बहोत ते केटला हो लाल ॥ ब० ॥ विधि पण नूट्यो वात, ए करतां गुन परें हो लाल ॥ ए ॥ प्रीतिमती पति नवि, निपजाव्यो कोइ घरें हो लाल ॥ नि० ॥ ५॥ अथवा खिन्न थयो विधि, तिणे एह सारिखो हो लाल ॥ ति० ॥ नवि निपजावी शक्यो एम, करुं मन पारखो हो लाल ॥ क०॥ मंत्री कहे सुण स्वामी, विपाद न कीजीयें हो लाल ॥ वि० ॥ उद्यम क रता इबित, फल सविसीजीयें हो साल ॥ फ० ॥ ६ ॥ राजकुमर असं ख्य, मव्या इहां तुम घरे हो लाल ॥ म० ॥ नवि लहियें को जीत्यो, न जीत्यो नली परें हो लाल ॥ न० ॥एम कही करे उदघोषणा, सुगो स वि राजीया हो लाल ॥ सु० ॥ खेचर कुमार प्राकृत नर, जे गुण गाजिया हो लाल ॥ जे ॥ ७ ॥ मुफ पुत्री जे जीतशे, तस परणावगुं हो लाल ॥ त॥ युक्तिसंगत उद्घोषणा, सांजली जावगुं हो लाल ॥सांग ॥ मन चिंते अपराजित, कुंवर ए स्त्री अबे हो लाल ॥ कुं० ॥ एहनी साथें जीत,थए परणयुं पढ़ें दो लाल ॥ ५० ॥॥ नवि घेटानी साथै के,गजने रण घटे हो लाल ॥ग ॥ नारी स्वनावें दोष, संयुत ते नवि मटे हो लाल ॥सं०॥ जो न करूं विवाद तो, ए पण मद धरे हो लाल ॥ ए. ॥ शास्त्र थलीक होय नरपद, हारे एणी परें हो लाल ॥ हा ॥ ए ॥ एम चिं तवीने थावे, सदु मुख आगलें हो लाल ॥ स० ॥ रूपांतर रह्यो तोहि, शोने लावण्पबलें हो लाल ॥ शो ॥ अचपटल अंतरित, शशी पण उ