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जैनकथा रत्नकोष नाग बीजो. सवि मलि आव्या, ताहरा गुण मनमांही नाव्या ॥ गु० ॥२७॥ देश कदं बनो स्वामी एह, नुवनचंद नामें गुणगेह ॥ गु० ॥ पुत्रादिकथी ए परिव रीयो, पूर्ववधू तिलक ज एह करियो ।गु॥ २७॥ सुनटचरित्रे करीने दूर, रिपुदलने जस दिसे गयो जूर ॥ गु० ॥ दक्षिण देशपति एह राय, समरके तु प्रणमें सद् पाय ॥ गु० ॥ ए॥ वरुणं नाम पश्चिम दिशि राय, जेह ना गुण दश दिशिमां गवाय ॥ गु० ॥ सुनट गुणी दानी मानी होवे,जस नामें रिपु दल सवि रोवे । गु० ॥ ३० ॥ उत्तर दिशिनो नाथ कुबेर, नृप गुणमांही अनुत्तर मेर ॥ गु० ॥ सोमप्रन नामें पण दीपे, सूरतेजथी र पुबल जीपे ॥ गु० ॥ ३१ ॥ नाम धवल ए राजा रूडो, कृष्ण करे रिपु ब ल तिहां नमो । गु० ॥ शूर नीम आदि बह राजा, देखावे बेद पदमा हे ताजा ॥ गु० ॥ ३२ ॥ एह धनंजय सुजस डे सार, कलिंग शूरसेन मं गल धार ॥ गु० ॥ खेंचरपति मणिचूड ए राय, विद्या सि६ घणी जस थाय ॥ गु० ॥ ३३ ॥ रत्नचूड मणिप्रन वली जाण, सुमनस विद्याधर मां प्रमाण ॥ गु० ॥ शूरसेन सुसेन राजान, अमितप्रनने दिये बदु मा न॥ गु० ॥३४॥ रूपं सौनाग्य ने तेज वखाणे, वर कुमरी जो तुज मन जाणे ॥ गु० ॥ एह राजाना पुत्र युवान, कला बहोंनेर वली रूपनिधा न ॥ गु० ॥ ३५ ॥ त्रीजे ए अधिकारें नारखी, नृप वर्णव कस्या बहु जन साखी ॥ गु० ॥ आतमी ढाल अधिक उन्नासें, पद्मविजय कहे गुन अन्या ॥ गु०॥३६ ॥ सर्वे गाथा ॥७३॥
॥दोहा ॥ ॥कुमरी दृष्टि करे यदा,नाला परें अति तीद ॥ कुमर हृदय जेम कमल दल, शव्य सहित थयां वीद ॥ १ ॥ अबला थया अबलालये, सबला स बला राय ॥ पण वामा वामांग जस, नूषे ते वर थाय ॥ ५ ॥
॥ ढाल नवमी ॥ ॥ थारा मोहला नपर मेह,जबूके वीजली हो लाल ॥जबूके वीजली ॥ ए देशी॥ एणि अवसर तिहां प्रीति,मती कला वरसती हो लाल म०॥ गीत विचार करती, पूर्वपदें सती हो लाल ॥ पू० ॥ तिहां कोई कुमरना मु खथी, वचन नवि नीकल्यु हो लाल ॥ व ॥ श्रावी गले ग्रहे तेम, मन सर्वनुं संकल्यु हो लाल ॥ म० ॥१॥ कोश्क स्खलना बोलतां, पामे प्रा