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जैनकथा रत्नकोष नाग पहेलो.. ल आवी राणी ते सूडानै देखी अत्यंत हर्ष पामी सुवर्मना पंजरामां तेने राख्यो. राणी पोताने हाथे स्नान नोजनादिक कराववा लागी.
हवे प्रस्तावें , सूडो सहसात्कारें अनेक अनेक प्रश्नोत्तरादिक श्लोक जणे. ते जेम के ॥ अयुक्तः प्राणदोलोके, वियुक्तः साधुक्न्ननः ॥ प्रयुक्तः सहि विशेषी, केवलः स्त्रीषु वन्ननः ॥१॥ तस्योत्तरं ॥ हार ॥ नावार्थःआकार अदरें युक्त होय तो जे पदनो अर्थ लोकने विर्षे प्राणनो दे नारो एवो थाय. तथा वि अदरें जो युक्त होय तो जे पदनो अर्थ साधु ने वजन एवो थाय डे. प्रयदरें करि युक्त जो होय तो जे पदनो अर्थ विशेषी थाय ने, अने जो केवल एकलुज पद राखीयें तो तेनो अर्थ स्त्रीने वल्लन एम थाय ॥ तेनो उत्तर (हार) हवे हारनी पहेलां आ मेलवीयें तो याहार थाय , तो तेथी जगत जीवे डे अने हारथी प्रथम वि मेलवी यें तो विहार थाय ने तो विदार साधुनेज घटे ने, ने जो हारनी प्रथम प्र मेलवीयेंतोप्रहार थाय ने तेविषीनेज होय . अने केवल हारज राखीयें तो स्त्रीने वन्नन एवो पुष्पनी हारज कहेवाय ने ॥ वली सूडो कहे जे ॥ किं जीवियस्स चिह्न, का नका म्यण रायस्स ॥ का पुप्फाणपहाणं, पर पीया किं कुण बाला ॥ उत्तरं ॥ सास रह जाय॥
नावार्थ:-जीवतरनु चिन्ह गुं? तो के (सास) मदनराज जे कामदेव तेनी स्त्री कोण तो के (रई) एटले रति ॥ अने उत्तम पुष्प कयुं? तो के (जाइ) एटले जाश्नां पुष्प, अने परणीने बाला झुं करे ? तो के (सास र जाइ) इत्यादिक प्रश्नोत्तर करतां राणी तथा सूडो बेदु पोताना दिवस निर्गमन करे ने, एकदा राणीप्रत्यें सूडे प्रख्यं के तमें ए राजानी साथे बो व्यांज नही ते शामाटें ? तेवारें राणी बोली के हे शुकराज! एने देख वाथी महारं चित्त हिसतुं नथी. न जाणुं को रूप परावर्त करी आव्यो बे, के केम ? माटें ज्यां सुधी महारं मन साही आपतुं नथी, त्यां सुधी एनी साथें दुं संनाषण मात्र पण नही करीश ? एम सांजली राणीनुं मन निश्चल जाणी सूडो हर्ष पाम्यो. __ एकदा को घरोलीने मूवेली देखी सूडायें तेना शरीरमा पोतानो जीव घाल्यो, तेवारें सूडो मरण पाग्यो. ते देखी राणी मूर्जा पामी. तेने दासीय वायुथी सावधान करी, तेवारें राणी कहेवा लागी के ए सूडानी