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जैन ज्योतिलोंक
___ इस प्रकार प्रतिदिन १ मुहूर्त (४८ मिनट) की वृद्धि होने से १ मास में १ दिन तथा १ वर्ष में १२ दिन की वृद्धि हुई एवं इसी क्रम से २ वर्ष में २४ दिन तथा ढाई वर्ष में ३० दिन (१ मास) की वृद्धि होती है तथा ५ वर्ष (१ युग) में २ मास अधिक हो जाते हैं।
'सूर्य के ताप का चारों तरफ फैलने का क्रम
। सूर्य का ताप मेरू पर्वत के मध्य भाग से लेकर लवण समुद्र के छठे भाग तक फैलता है। अर्थात्-लवण समुद्र का विस्तार २००००० योजन है उसमें छ: का भाग देकर १ लाख योजन जंबूद्वीप का आधा ५०००० मिलाने से (२००१.५+५००००)
८३३३३३ योजन (३३३३३३३३३, मील) तक प्रकाश फैलता है। सूर्य का प्रकाश नीचे की ओर चित्रा पृथ्वी की जड़ तक अर्थात् चित्रा पृथ्वी से एक हजार योजन नीचे तक एवं ऊपर सूर्य विम्ब ८०० योजन पर है । अतः १०००+८००= १८०० योजन (७२००००० मील) तक फैलता है और ऊपर की ओर १०० योजन (४००००० मील) तक फैलता है।
लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि
लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि का प्रमाण ५२७०४६ योजन (२१२८१८४००० मील) है।