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इसके बाद उनपर अच्छे संस्कार डाले डायंगे, उन कानी में सदेव अच्छे विचार पढ़ते रहो, उनको धिपय - सत्र अच्छेकार्य पड़ने रहेंगे, और वेअच्छे प्रादर्शी को-ओर झुकाए. जायंगे तो उनमे सदाचारी होने में कोई सन्देह नहीं ।, भागे उन विद्याध्ययन कराया जाय, नैतिक शिक्षा दी, जाय और कलव्य शोल बनाया जाय । तो उनका जीवन.वड़ी उत्तमवा.सं. चन्तीत होगा।" (जैनहितेपी भाग पृष्ट ४४९) रहे विद्य: मान व्यभिचारी पुरुष, उनमें भी समान का. प्रचार किया जाय। विधवाओं को पुरी निगाह से न देनाजाय। उन्हें वरम, मूंद कर-न रज्या जाय । बल्कि केन्द्रस्य स्थानों में विधवाश्रम खोले जाये, और उनमें उनको किसी विद्रुपी महिला कं प्राचीन पक्षा जाय । इस बात को कार्यस्प में परिणत देलने के लिये सर्व साधारण में इस का महत्व प्रकट किया जाय । और समाज के गण्यमान्य, सजन सबसे. पहिले अपने यहां की विधवाओं को. विश्वाश्रमों में भेजे। "स कम से जनसाधारण पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा और.विधः राओं की दशा सुधर जावेशी, वे अपने जीवनलक्ष्य ..को, धान नेत्रों से देख सकेंगी और व्यभिचार से बच जावेगी । रहे, कुमारे युवक, उनम सहपदेश से कार्य लिया जाय। परन्तु उससे इच्छित फल कम होगा । ये निज समाज में नहीं तो अन्यर करते ही हैं। इसलिये उनके विवाहों का प्रवन्ध हो जाना चाहिये । यह किस तरह हो सकते हैं इसका विचार