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जैन जगतो
अतीत खण्ड
हा! वागभट-से नागभट-से वोर बालक अब कहाँ! सौराष्ट्र ! तेरे लाल ये अनमोल होरे हैं कहाँ !
२६१ २६७ २६८ २१९ २७० आमात्य आंबू विमल, उदयन, शान्तनु महेता तथाहोते न यदि सौराष्ट्र में, सौराष्ट्र होता अन्यथा ॥ २४६ ॥ गुजरातपति नृप सिद्ध २७५ के, सौराष्ट्रपति नृप भीम२७२ केथे डालने वाले हमी साम्राज्य की दृढ़ नीम के। आमात्य वस्तुपाल २७३ कहे क्या किस तरह के वीर थे! इनके २७४ सहोदर बन्धु भी आमात्य थे, रण-धीर थे।॥२५०।। इन पौरवंशी बन्धुओं के तेग में क्या शक्ति थी ! सुलतान आलम कुतुब२७५ की चलती न कोई युक्ति थी। सौराष्ट्रपति नृप भीम के यदि ये अनुग होते नहीं; सौराष्ट्र के इतिहास, वर्णन दूसरे होते कहीं ॥ २५१ ।। भुजदण्ड भैषा-शाह२७६ के थे नाम के अनुरूप ही; थे बन्धु रामाशाह २७७ उनके वीरवर तद्रूप ही। श्रीकर्मसी२७८ श्रीनेतमी२७९ श्रीअन्नदाता धर्म-सी२८०; सब थे अतुल वर वोर भट हा ! वर्ण्य हो कैसे प्रभो ! ।।२५२।। हम दूर जाने की नहीं हैं आप से कुछ कह रहे; बस ध्यान से पढ़ लीजिये जो पंक्ति दो में कह रहे। इतिहास राजस्थान का. क्या आप नहिं हैं जानते ? सब वर्ण हमको आज भी भूपाल२८१ कह कर मानते ॥२५३।।